कानपुर के कोरथा गांव के लोगों की हादसे में दर्दनाक मौत हुई। ट्रैक्टर-ट्राली पलटने के बाद घुटने तक पानी में 26 जिंदगियां डूब गई। ट्राली के नीचे दबे होने की वजह से वो खुद को नहीं बचा सके। पोस्टमॉर्टम में सामने आया कि फेफड़ों, लीवर और पेट में पानी भर चुका था। वो सांस नहीं ले सके। इससे मौत हो गई।
अगर समय रहते ट्रॉली हटा ली जाती तो शायद इतनी मौतें नहीं होती। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर्स को मरने वालों के शरीर पर चोट नहीं मिली हैं।
सभी की डूबने से हुई मौत
शनिवार देर रात डॉक्टर नवनीत चौधरी की अगुवाई में डॉ. अरविंद, डॉ. सुनील, डॉ. विशाल, डॉ. देवेंद्र राजपूत, डॉ. अवधेश ओमर, डॉ. रमेश, डॉ. सतीष, डॉ. विपुल और डॉ. ओ.पी रॉय की टीम पहुंची और पोस्टमॉर्टम शुरू किया। डॉक्टरों ने सुबह साढ़े 6 बजे तक 26 शवों का पोस्टमॉर्टम किया। 6 लोग ऐसे थे, जिनके शरीर की कुछ हड्डियां टूटी मिलीं।
सीएचसी में कराया गया था सभी का पीएम
कानपुर में पहली बार किसी सीएचसी को पोस्टमॉर्टम हाउस में तब्दील किया गया था। भीतरगांव सीएचसी में 24 शव थे। दो हैलट में थे। बवाल की आशंका के चलते डीएम विशाख जी. ने CHC में ही पोस्टमॉर्टम का आदेश दिया था। इसके बाद हैलट में रखे दोनों शव भी वहीं पहुंचाए गए।
मां और बेटी की मौत पर नहीं पहुंचा राजू
अपने लड़के का मुंडन कराने के लिए गया राजू ही ट्रैक्टर चला रहा था। हादसे में उसकी मां जानकी और बेटी दिव्या की मौत हो गई थी। उनके अंतिम संस्कार में भी वह नहीं पहुंचा। सभी का ड्योढ़ी घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। राजू की पत्नी ज्ञानवती अपने 7 महीने के बेटे का इलाज हैलट में करा रही है। हादसे के बाद से वो फरार है। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने 3 टीमें गठित की हैं।
स्पीड ज्यादा नहीं थी
हादसे में घायल लक्ष्मी हैलट में भर्ती है। उसने बताया कि ट्रैक्टर की स्पीड ज्यादा नहीं थी। लेकिन राजू के नशे में होने के चलते वो सड़क किनारे कब उतर गया, उसे खुद पता नहीं चला। हादसे के वक्त तेज झटका लगा तो सोचा ब्रेकर होगा, लेकिन गड्ढे की वजह से ट्रॉली पलट गई। जो बैठे थे वो ट्रॉली के नीचे दब गए और मर गए।
इनका शव दफानाए गए
इनके शव जलाए गए
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