सोमवार को कानपुर आईआईटी के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की टीम ने जाजमऊ स्थित गंगा पुल की जांच शुरू कर दी। टीम ने पुल के पिलर, स्लैब और पियर कैप के निर्माण सामग्री की जांच के लिए सैंपल कलेक्ट किए। लिए गए इन सैंपल को आईआईटी लैब में चेक करेगा। रिपोर्ट आने के बाद पुल की मरम्मत को लेकर फैसला लिया जाएगा।
लगातार जर्जर होता जा रहा
कानपुर-लखनऊ को जोड़ने वाला ये बेहद अहम रास्ता है। इसी रास्ते से लोग आगरा, दिल्ली के लिए बिना कानपुर में एंट्री लिए सीधे निकल जाते हैं। 1975 में पुराना गंगा पुल चालू हुआ था। उससे पहले भारी और हल्के वाहन शुक्लागंज के पुराने पुल से उन्नाव होते हुए लखनऊ की ओर जाते थे। 2009 में और फिर पिछले वर्ष मरम्मत की गई पर पुल फिर टूट गया।
3 साल पहले कंपनी ने दी थी रिपेार्ट
3 साल पहले नोएडा की कम्पनी ने तकनीकी परीक्षण के बाद रिपोर्ट दी थी कि पुल की बीयरिंग, बेड ब्लॉक, फुटपाथ और नीचे की स्लैब जर्जर होने की रिपोर्ट दी थी। इसके बाद बिटुमिन्स मैस्टिक सड़क बनाने के बाद ही इस्तेमाल किए जाने की सलाह दी थी।
ये है पुल के कमजोर होने की बड़ी वजह
नए जाजमऊ गंगा पुल 2001 में शुरू होने से पहले 26 साल तक एक ही पुल से वाहनों की आवाजाही थी। भारी लोड के कारण पुल कमजोर हो गया। तब यह पुल पीडब्ल्यूडी के पास था। एनएचएआई को वर्ष 2006 में ट्रांसफर हुआ। वैसे व्यवस्था के मुताबिक हर वर्ष पुल की मरम्मत होनी चाहिए, लेकिन इसका पालन 30 वर्ष से नहीं हो रहा है।
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