कानपुर में 3 जून को हुई हिंसा के दौरान बच्चों ने भी जमकर पथराव और बमबाजी की थी। CCTV फुटेज और वायरल फोटो-वीडियो की जांच से इस बात की पुष्टि हुई है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के आदेश पर पुलिस ने जांच शुरू की, तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
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बच्चों को पैसे देकर नई सड़क पर हिंसा कराई गई थी। हिंसा से पहले कई बार बिरयानी भी बांटकर बच्चों को खिलाई गई। साथ ही बच्चों को मजहबी कट्टरता का भी पाठ पढ़ाया गया था। कश्मीर में पत्थरबाजी करने के लिए आतंकी ऐसा करते रहे हैं। इलाके के मदरसे में पढ़ने वाले छात्र भी पुलिस के रडार पर हैं। इसके अलावा एक बार फिर से हिंसा के आरोपियों को पांच दिन की रिमांड लेने के लिए कोर्ट में अर्जी दी गई है।
चैनल बनाकर बच्चों को बांटे गए रुपए
JCP आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि बच्चों का हिंसा में शामिल होना गंभीर बात है। NCPCR ने भी इसका संज्ञान लेते हुए कानपुर पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा को जांच का आदेश दिया था। पुलिस की जांच में सामने आया कि नाबालिग बच्चों को रुपए बांटकर हिंसा के लिए डायवर्ट किया गया। बच्चों तक फंड सीधे नहीं, बल्कि अलग चैनल से भेजे गए। यानी इलाके के नेताओं और गली-मोहल्ले के लोगों से रुपए बंटवाए गए।
तय समय पर सैकड़ों नाबालिग हाथ में पत्थर लेकर सड़कों पर उतर आए थे और जमकर पथराव किया था। पुलिस जल्द ही जांच पूरी करके अपनी रिपोर्ट NCPCR को सौंपेगी।
बिल्डरों की फंडिंग की हो रही है जांच
पुलिस की जांच में सामने आया है कि कानपुर के नामी बिल्डर हाजी वसी समेत आठ बिल्डर हिंसा के मास्टर माइंड हयात जफर हाशमी को फंडिंग करते थे। पुलिस अब इस बिंदु पर जांच कर रही है कि बिल्डरों की फंडिंग की रकम तो हिंसा फैलाने के लिए इस्तेमाल नहीं की गई है। जांच पूरी होने के बाद ही यह साफ हो सकेगा।
जांच के दायरे में इलाके के मदरसों के छात्र
हिंसा में शामिल बच्चों की जांच कर रही टीम के रडार पर इलाके के मरदसे भी हैं। वायरल वीडियो और CCTV में कैद बच्चों का फोटो और मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की शिनाख्त कराई जा रही है। फिलहाल अभी तक इस तरह का कोई मामला सामने नहीं आया है। हिंसा प्रभावित क्षेत्र में एक-दो नहीं छह से अधिक बड़े मदरसे चलते हैं। इसमें कानपुर के अलावा कई जिलों के बच्चे पढ़ाई करते हैं।
दहशत में आए एक नाबालिग ने किया था सरेंडर
कानपुर पुलिस ने हिंसा में शामिल 50 उपद्रवियों का पोस्टर जारी किया था। इसमें एक नाबालिग भी शामिल था। शहर में पोस्टर चस्पा होते ही दहशत में आए नाबालिग ने कर्नलगंज थाने में सरेंडर कर दिया था। सरेंडर करने वाले नाबालिग ने भी पूछताछ में कई अहम जानकारी दी थीं। इसी आधार पर पुलिस की जांच भी आगे बढ़ रही है।
...तो इसलिए हिंसा की आग में बच्चों को झोंका
पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि बच्चों को इसलिए आगे किया गया कि पुलिस इन पर कड़ी कार्रवाई नहीं कर सकती है। इसके साथ ही हिंसा के लिए इन्हें आसानी से मोटिवेट किया जा सकता है। पुलिस बच्चों से पूछताछ के लिए ज्यादा सख्ती नहीं कर सकती है। हिंसा के लिए वह सबसे सॉफ्ट टारगेट भी हैं। इसके चलते बच्चों को हिंसा के लिए फंडिंग करके उकसाया गया।
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