कानपुर मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर कोरथा गांव हैं। हादसे में मरने वाले 26 लोग इसी गांव के थे। मरने वालों में 25 महिलाएं और 1 बच्चा शामिल है। गांव में गांव में हर तरफ मातम छाया हुआ है। हर किसी के दरवाजे पर महिलाएं सिसकियां भर रही हैं। पुरुष भी अपने आंसू रोक नहीं सके। एक भी घर में चूल्हा नहीं जला। गांव में सिर्फ रोने और चीखने की आवाज गूंज रही थी।
हादसे ने उजाड़ दिया परिवार
सुबह 4:30 बजे एक-एक करके भीतर गांव सीएचसी से शवों को कोरथा गांव भेजने का सिलसिला जारी हो गया। गांव में शव पहुंचते ही चीख-पुकान मच गई। जैसे-जैसे सभी शव पहुंचते गए पूरा गांव मातम में डूब गया। किसी के पत्नी की हादसे में मौत हो गई, तो किसी ने अपने इकलौते चिराग को खो दिया।
बेटा एक बार आंख खोल दो बस
किसी का पूरा परिवार ही उजड़ गया। हर तरफ गम, गुस्सा और चीत्कार मची हुई थी। हर कोई अपने के बिछड़ने की बात को विश्वास नहीं कर पा रहा था। कोई लिपट कर रोता दिखा, तो कोई यह कह रहा था कि बेटा एक बार आंख खोल दो बस। अम्मा देखो इंतजार कर रही है। हम लोग दशहरा मेला देखने चलेंगे। यह सुनकर अन्य भी रोने लगते। आसपास गांव के लोग भी पहुंच गए। लोगाें को ढांढस बंधा रहे थे। जो सुन रहा था, वही आचंभित हो रहा था।
गांव में एंबुलेंस और सायरन की आवाज गूंजती रही
कोरथा गांव शिर्फ एंबुलेंस और गाड़ियों के सायरन की आवाज गूंजती रही। पूरी रात गांव में पुलिस की गाड़ियां आती-जाती रहीं। इतने बड़े हादसे को सुनने के बाद पूरा गांव नहीं सो सका। सुनता वही दौड़ा चला जा रहा था। गांव शव पहुंचा, तो परिजन शव को लिपट कर रो रहे थे। रोते-रोते बेहोश हो रहे थे।
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