उत्तर प्रदेश में कानपुर के बिकरु गांव में बीते साल 2 जुलाई को गैंगस्टर विकास दुबे से मुठभेड़ में डिप्टी एसपी (सीओ) देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। उस वक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों से मुलाकात कर हर संभव मदद का भरोसा दिया था। लेकिन समय बीतने के साथ वादे भुला दिए गए। शहीद देवेंद्र मिज्ञा की पत्नी आशा मिश्रा को दो महीने पहले ट्यूमर डायग्नोस हुआ, लेकिन बेड बुधवार को जाकर मिल सका। एक हफ्ते से उनका पूरा परिवार होटल में ठहरा हुआ है।
पढ़िए आशा मिश्रा की दैनिक भास्कर से पूरी बातचीत-
आशा मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहादत के दौरान भले ही भरोसा दिलाया था कि वे शहीद के परिवार के हर सुख-दुख में खड़े होंगे। अब वही उनके अभिभावक हैं, लेकिन दो महीने पहले उन्हें ट्यूमर डायग्नोस हुआ तो इलाज के लिए सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल सकी। यहां तक कि हॉस्पिटल में उन्हें ऑपरेशन के लिए बेड तक नहीं मिल रहा है। इतना ही नहीं बड़ी बेटी की नौकरी, छोटी बेटी की इंटर के बाद उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक सहयोग और विभागीय इंश्योरेंस का पैसा भी फंसा हुआ है। बीमारी के चलते वह पैरवी नहीं कर पा रही हैं। उनकी सरकार से गुजारिश है कि उनको जो भी आश्वासन दिया गया सिर्फ उन्हीं को पूरा कर दिया जाए।
बेटी बोली- पिता शहीद हो गए, मां की जान बचाना मेरी प्राथमिकता
शहीद डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा की बड़ी बेटी वैष्णवी ने बताया कि पिता शहीद हो चुके हैं और अब मां आशा मिश्रा ही उन दोनों बहनों का अंतिम सहारा हैं। उनकी जान बचाना प्राथमिकता है। मां के पेट में भयानक दर्द उठा था। जांच कराने पर सामने आया कि उनकी ओवरी (गर्भाशय) में ट्यूमर है। इसके बाद से वह मामा आशीष और अन्य रिश्तेदारों के साथ ऑपरेशन कराने के लिए डॉक्टर राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के चक्कर काट रही थीं। उन्हें डॉक्टर से ऑपरेशन के लिए एप्वाइमेंट तो मिल गया, लेकिन अस्पताल में प्राइवेट रूम नहीं मिल पा रहा था। इसके चलते ऑपरेशन टलता जा रहा था। जबकि ट्यूमर लास्ट स्टेज पर डायग्नोस हुआ है।
पूरा परिवार अस्पताल के पास एक सप्ताह से होटल में कमरा लेकर ठहरा हुआ है। उन्होंने जिला प्रशासन से लेकर कई अफसरों से गुहार लगाई, लेकिन मदद नहीं मिल सकी। बुधवार को शहीद की पत्नी होने की जानकारी मिलने पर डॉ. राममनोहर लोहिया अस्पताल की डायरेक्टर डॉ. नुजहत हुसैन ने खुद आगे बढ़कर उन्हें फौरन हॉस्पिटल के प्राइवेट रूम में भर्ती करा दिया। इसके साथ ही ऑपरेशन के लिए डॉक्टर से भी बात की। अब एक-दो दिन में उनका ऑपरेशन हो जाएगा। तब जाकर दोनों बेटियों और परिवार के लोगों ने राहत की सांस ली।
बेटी को अभी तक नहीं मिली पुलिस विभाग में नौकरी
शहीद की पत्नी आशा मिश्रा ने बताया कि सरकार ने भले ही उनकी सुरक्षा में एक महिला कांस्टेबल को तैनात कर दिया है, लेकिन सुविधाओं का टोटा है। बेटी वैष्णवी ने पिता के शहीद होने के बाद भी पुलिस में नौकरी करने का हौसला दिखाया था। तब कानपुर जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री और देश भर में वैष्णवी की सराहना हुई थी। आशा मिश्रा ने बताया कि छह महीने पहले नौकरी के लिए बेटी के सभी दस्तावेज जमा किए जा चुके हैं, लेकिन अभी तक नौकरी नहीं मिल सकी है।
विभाग की तरफ से अपडेट भी नहीं कराया जा रहा कि फाइल कहां फंसी हुई है...? अभी नौकरी मिलने में कितना समय लगेगा...? किस पद पर सरकार ने नौकरी देने का तय किया है...? इस तरह के सैकड़ों सवाल परिवार वालों के मन में उमड़-घुमड़ रहे हैं, जिनका जवाब देने वाला कोई नहीं है। जबकि छह महीने पहले सभी कागजात जमा किए जा चुके हैं।
मूल रूप से बांदा निवासी है शहीद डिप्टी एसपी का परिवार
शहीद सीओ मार्च 2020 में सेवानिवृत्त होने वाले थे। मूलरूप से बांदा के महेबा गांव निवासी देवेंद्र के परिवार में पत्नी आशा और दो बेटियां वैष्णवी और वैशारदी हैं। बड़ी बेटी मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही थी और नीट की परीक्षा पास भी कर ली है। छोटी बेटी वैशार्दी 12वीं की छात्रा है। उनका परिवार स्वरूपनगर में पॉमकोट अपार्टमेंट में रह रहा है। उनके एक भाई राजीव मिश्र डाकघर में कार्यरत हैं, जबकि दूसरे भाई आरडी मिश्र महेबा गांव के पूर्व प्रधान हैं।
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