कौशांबी जिले के अमीना गांव में बड़े भाई की हत्या में हिरासत में लिए गए छोटे भाई को पुलिस ने बुधवार की शाम रिहा कर दिया। पुलिस ने आरोपित को छोड़ने के पीछे पीड़ित पक्ष से तहरीर न मिलने के हवाला दिया है। वहीं दूसरी ओर पीड़ित मां ने तहरीर न देने के पीछे कारण बताया कि साहब एक बेटा तो खो दिया अब दूसरे बेटे को जेल भेजवा कर कैसे खो दें। वैसे छोटा बेटा मानसिक रोगी है। उसने जानबूझ कर कत्ल नहीं किया। आंखों में आंसू लिए हत्यारोपित मोनू की मां शिवदुलारी ने पुलिस से मिन्नत की।
मोनू ने थाने जाकर कुुबूल किया था जुर्म
पश्चिम शरीरा के अमीना निवासी स्व शिवमूरत केसरवानी के तीन बेटे हैं। बड़ा बेटा प्रकाश चंद्र अहमदाबाद में रहकर प्राइवेट नौकरी करता है। जबकि 40 वर्षीय अशोक कुमार व मोनू घर पर रहकर खेती करते थे। मंगलवार की दोपहर अशोक खाना खाने के बाद सो रहा था। तभी मोनू आया और सिर पर लाठी से वार कर दिया। इससे अशोक की मौत हो गई। घटना को अंजाम देने के बाद आरोपित मोनू सीधे थाने पहुंच गया और हत्या का जुर्म कबूल किया।
मां ने नहीं दी हत्या की तहरीर
पुलिस ने उसकी बात सुना तो होश उड़ गए। उसे थाने में हिरासत में लिया गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा। घटना को लेकर पुलिस ने काफी समझाते हुए परिवार वालों से कार्रवाई के लिए तहरीर मांगी। लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया। ऐसे परिस्थिति में कार्रवाई को लेकर पुलिस बुधवार की शाम तक प्रयास करती रही लेकिन मां शिव दुलारी का यही कहना रहा है कि एक बेटा मौत की नींद सो गया और दूसरे को वह जेल नहीं भेजवाना चाहती। उन्होंने बताया कि एक बेटा गुजरात के अहमदाबाद में रहकर प्राइवेट नौकरी करता है। वह कभी-कभार ही घर आता है। अब यही बुढ़ापे में सहारा है और यह मानसिक रूप से कमजोर भी है।
मानसिक रूप से कमजोर है मोनू
थानेदार भवानी सिंह ने बताया, आरोपित के खिलाफ कार्रवाई स्वजन नहीं चाहते। उनका कहना है कि आरोपित बेटा मानसिक रोगी है। उसका इलाज भी लंबे समय से चल रहा है। नतीजतन उच्चाधिकारियों को इस संबंध में अवगत कराते हुए आरोपित को फिलहाल छोड़ दिया गया है। अशोक के शव का अंतिम संस्कार होने के बाद परिवार वालों से प्रार्थना पत्र लेकर कागजी कोरम पूरा किया जाएगा।
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