विश्व मानचित्र पर अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन केंद्र समय के साथ विख्यात हो रहा है। जिले में भगवान बुद्ध का अंतिम भोजन स्थल फाजिल नगर (सठियांव) से लेकर परिनिर्वाण स्थल कुशीनगर, कुकुत्था नदी अब संवर रही है। कभी उपेक्षित रहने वाला कुशीनगर अब पर्यटकों के आवाजाही से गुलजार रहता है।
चौथी बार कुशीनगर आ रहे हैं प्रधानमंत्री
कुशीनगर की ख्याति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आजाद भारत के कई बुद्ध पूर्णिमा के बीतने के पश्चात नरेंद्र मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जो बुद्ध की धरती पर इस विशेष अवसर पर शीश झुकाने आ रहे है। बतौर प्रधानमंत्री देखें तो नरेंद्र मोदी चौथी बार बुद्ध की धरती पर पधार रहे हैं। उनके कुशीनगर आगमन से न केवल बुद्ध अनुयायियों में खुशी है बल्कि, व्यवसायी और आम लोगों में भी उत्साह का माहौल है।
बुद्ध से जुड़े स्थलों की तस्वीरें बदलने लगी
दरअसल, प्रधानमंत्री के बीते सितंबर में आगमन के बाद से ही कुशीनगर में बुद्ध से जुड़े स्थलों की तस्वीरें बदलने लगी थी। बुद्ध का जुड़ाव जिन स्थलों से था उनको पयर्टन मानचित्र पर लाने का सकारात्मक प्रयास होने लगा। इसके बाद कई वर्षों से उपेक्षित कुछ स्थल विकसित भी हुए। तथागत बुद्ध वैशाली से चलकर पावानगर पहुंचे थे। चुंद ने बुद्ध को संघ के साथ अंतिम भोजन दान दिया। इसके बाद बुद्ध परिनिर्वाण को प्राप्त हुए।
म्यांमार के राजदूत ने खूब सराहा
आज के वर्तमान स्थिति देखे तो कुशीनगर में भ्रमण के बाद सबसे ज्यादा विदेशी फाजिलनगर के नए पयर्टन स्थल सठियांव में पहुँच रहे है। म्यांमार के राजदूत ने तो सरकार के पावानागर फाजिलनगर को विकसित करने को खूब सराहा वही अन्य स्थलों को विकसित करने की उम्मीद जगाई। महात्मा बुद्ध ने जिस ककुत्था नदी का अंतिम बार जल ग्रहण किया था वह भी विकसित होने लगा है। वहीं,घाघी नदी के पुरैना घाट से लेकर रहसू जनूबीपट्टी, फरेंदहा, बदुरांव सहित अनेक गांवों में वह स्थल हैं जो बुद्ध से इतिहास रखते है। उसके विकास की कार्ययोजना भी तैयार कर ली गई। प्रधानमंत्री के इस आगमन से यह उम्मीद लगाई जा रही है कि बचे हुए बुद्ध से जुड़े ऐतिहासिक धरोहरों को पयर्टन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
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