कुशीनगर के न्यू पीएचसी में स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे:जर्जर भवन, डॉक्टर और स्टाफ की कमी के साथ मूलभूत सुविधाओं की भी कमी

कुशीनगर3 महीने पहले
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कुशीनगर के सपहा सेखवानीया के नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली का रोना रो रहा हैं। 20 हज़ार की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए यूपी सरकार ने इसको एक दशक से भी पहले बनवाया था। कई सरकार यूपी में आई और गई लेकिन इस नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर न हो सका।

जर्जर भवन में चल रहा। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिले, ऐसे में नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोले गए। ताकि सरकार ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दे सके। लेकिन सरकार के तमाम प्रयास के बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रहा हैं।

पानी की भी नहीं व्यवस्था
जिले का सेखवनिया नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ख़ुद अपनी सुविधाओं के लिए तरस रहा हैं। क्योंकि भवन तो जर्जर है साथ ही बिजली नही हो सकी हैं। पानी की भी व्यवस्था नहीं हो सकी। इतना ही नहीं बीस हजार की आबादी के लिए बने इस अस्पताल में डॉक्टर और फार्मासिस्ट की भी कमी है। यहां लोगों का इलाज तो सिर्फ एक वार्ड बॉय और प्रयोगशाला चलाने वाले एक असिस्टेंट जिनके भरोसे हो रहा। अब यहां आने वाले मरीज डॉक्टर की खाली कुर्सी, खाली पड़ी फार्मासिस्ट की कुर्सी और जर्जर भवन को देख वापस लौट जाते है। ऐसा सप्ताह में 4 दिन चलता है। क्योंकि जिस डॉक्टर की ड्यूटी यहां लगाई गई है उनकी ड्यूटी अन्य जगहों पर लगाई गई जिस वजह से डॉक्टर अपनी सेवाएं नही दे पाते है।

डॉक्टर और फार्मासिस्ट की तैनाती नहीं
स्थानीय लोगों की मांग है कि यहां प्रमामेन्ट एक डॉक्टर और फार्मासिस्ट की तैनाती करनी चाहिए। लोगों का कहना है कि नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए बनाई गई नई बिल्डिंग जो 2008 में बन कर तैयार हुई पर कभी हैंडओवर न होने की वजह से यह खुद जर्जर हो गया। जो पहले से पुराने जर्जर भवन में चल रहा नया, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी दुर्दशा पर रो रहा है, तो दूसरी तरफ करोड़ों रूपये की लागत से बनाये गए। इस हाई टेक बिल्डिंग भ्रष्टाचार का शिकार हो गया। घटिया निर्माण के चलते यह बनाया गया भवन बनते ही टूटने लगा, जिस वजह से कभी स्वास्थ्य विभाग को हैंड ओवर नहीं किया गया। आलम यह हुआ कि भवन में लगाए गए विभिन्न उपकरण खराब हो गए, जबकि फर्स उखड़ गए, दरवाज़े टूट गए और छत पर टंगे पंखे खुद पे खुद जमीदोज हो गए। तो जंग लग कर पंखे टंगे टंगे झड़ गए।

जिला चिकित्सा प्रभारी को नहीं है इसकी जानकारी
जब जिला चिकित्सा प्रभारी सुरेश पटारिया से इस संबंध में बात की तो उनको इसकी जानकारी ही नहीं है। जबकि सरकार ने यह आदेश दे रहा रखा कि सरकारी जितने भी जर्जर भवन है, उन्हें चिह्नित कर रिपोर्ट दें, ताकि उसका उचित निर्णय लिया जा सके। लेकिन जिला चिकित्सा प्रभारी सरकार के दिए गए आदेश को गंभीरता से नहीं लेते हैं। अगर लेते तो शायद 20 हज़ार वाले सपहा सेखवानिया गांव को बेहतर स्वास्थ्य मिल जाती और जर्जर भवन में चल रहे हादसे को दावत देने वाले इस नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को बेहतर भवन के साथ अन्य सुविधाओं का भी लाभ मिल जाता।