कुशीनगर में बिजली कर्मियों की हड़ताल ने प्रदेश में उपजे बिजली सकंट के दौरान कुशीनगर में करोंड़ों की लागत से स्थापित वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की पोल खोल कर रख दी है। अंतराष्ट्रीय पर्यटक स्थली कुशीनगर में किसी भी दशा में बिजली आपूर्ति के बाधित होने पर पथ प्रकाश और पीने के पानी की व्यवस्था बनाए रखने के लिये करीब 2 करोड़ 24 लाख की लागत से सोलर पैनल प्लांट लगाए गए थे।
लेकिन, इन सोलर पैनलों को इंस्टाल करने वाली कंपनी द्वारा कार्य को आधा-अधूरा छोड़कर भाग जाने से जरूरत के वक्त ये सोलर पैनल चले ही नहीं, जिससे पूरा महापरिनिर्वाण मार्ग अंधरे में डूबा रहा। इससे कुशीनगर घूमने आए देसी-विदेशी पर्यटक होटलों में कैद होकर रह गए।
20 हजार की आबादी हो रही परेशान
इतना ही नहीं इन सोलर पैनलों के खराब हो जाने का खामियाजा लगभग 20 हजार की आबादी को भी भुगतना पड़ा, जो लगभग 48 घंटे पानी के लिए तरसती रही। कुशीनगर नगरपालिका में सोलर पैनल प्लांट में हुए भ्रष्टाचार की पोल तब खुल गई जब पूरे यूपी में बिजली कर्मियों की हड़ताल से पूरा यूपी परेशान था। इसमें कुशीनगर नगरपालिका भी शामिल था। ऐसे में हड़ताल से 48 घंटे से अधिक के लिए जब बिजली गुल हुई तो वैकल्पिक व्यवस्था की तरफ लोगों का ध्यान गया।
डीएम ने कार्रवाई की कही बात
2016-17 में सोलर प्लांट लगाए गए थे, जो करोड़ों की लागत से तीन जगहों पर लगाए गए थे। हड़ताल के समय यह काम नहीं आई। इस बारे में नगरपालिका से संबंधित कोई अधिकारी बयान देने को तैयार नहीं है, जबकि नगर पालिका ने आगे के भुगतान के तौर पर कंपनी को 1 करोड़ 13 लाख का भुगतान भी कर दिया है। डीएम रमेश रंजन को जब नगरपालिका कुशीनगर में हुई इस अनियमितता की जानकारी दी गई तो उन्होंने एसडीएम कसया और अधिशासी अधिकारी से मामले की अभिलेखीय जांच कराने की बात कहते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।
पर्यटन विभाग की थी जिम्मेदारी
दरअसल 2016 /17 में सपा सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थली कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मार्ग के पथ प्रकाश और पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये सोलर पैनल प्लांट का निर्माण करवाया था। पीने के पानी के लिये मेसर्स सोलर एनर्जी डेवलपमेंट कॉरपोरेटिव सोसायटी को जिम्मेदारी सौंपी गई तो पथ प्रकाश के लिए पर्यटन विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई।
चोरों ने बैट्रियां भी गायब कर दीं
पर्यटन विभाग ने पथ प्रकाश के लिए लगाई गई सोलर लाइट कुछ दिन जलने के बाद मरम्मत और रखरखाव के अभाव में शोपीस बनकर रह गई। इतना ही नहीं रही सही कसर चोरों ने इनकी बैट्रियां चुरा कर पूरा कर दी। वहीं, पेयजल के लिए नामित कंपनी ने बिना काम पूरा कराए ही अग्रिम भुगतान लेकर चंपत हो गई, जिसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है। नपा द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी इसका लाभ न मिल पाने का मलाल स्थानीय लोगों को है और लोग नगरपालिका के इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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