कुशीनगर के सिंगहा चौराहे पर रविवार को एरिज एग्रो ने किसान गोष्ठी का आयोजन किया। इस दौरान कृषि प्रसार अधिकारी भीमशंकर सिंह ने कहा कि जानकारी के अभाव में किसान जरूरत से ज्यादा मात्रा में खाद का प्रयोग कर रहे हैं, जिसके चलते धन का नुकसान तो है साथ ही पर्यावरण भी दूषित हो रहा है।
किसानों को गोष्ठी में बताया गया कि रसायनिक खाद की मात्रा कम करके आर्गैनिक खाद का प्रयोग करें तो उससे फसल और मनुष्य दोनों के लिए स्वस्थ्यवर्धक है। शरद कालीन गन्ने में बकला और तोरी की सह फसल लगा कर मुनाफा कमाया जा सकता हैं। 15 सितंबर से नवम्बर माह के अंत तक ही शरद कालीन गन्ने की बुआई करनी चाहिए।
किसानों को बताया गया कि स्वस्थ गन्ने को बॉस्टिन के घोल में शोधन करने के बाद ही किसान भाई उसकी बुआई करें। बुआई के 45 दिनों बाद पहली सिंचाई कर देने से सौ प्रतिशत गन्ने का अंकुरण हो जाता हैं। मानसून आने के पूर्व मिट्टी जढाकर गन्ने की बधाई करा देने से गन्ना जमीन पर गिरने से बच जाता हैं।
गेहूं, तोरी में दाने छोटे और छिल्लीदार बनने के कारणों को रोकने के लिए फसल में सल्फर और जिंक व कैल्शियम का प्रयोग खेतों में करें। तोरी में फूल आने के बाद एम45 व कार्बेन्डाजिम का छिड़काव कर फसल को ठंढ से बचाव होने के साथ साथ दाने भी अच्छे लगते हैं। किसानों को सह फसली और आर्गेनिक खाद के उपयोग के फायदे के प्रति जागरूक किया गया।
इस दौरान शांतिश शाही, हेमंत श्रीवास्तव, सम्पूर्णानंद मिश्र, अभिषेक शाही, प्रदुम्न तिवारी, मनोज राय, रामानंद राय, शम्भु शाही, संतोष तिवारी, राघवेन्द्र शाही, चन्दन यादव, विरेन्द्र यादव, अमरेन्द्र शाही, सुशील गुप्ता, सिंटू शाही आदि मौजूद रहे।
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