कुशीनगर में छोटी गण्डक पर बालू माफियाओं ने कब्जा कर लिया है। वहां पूरा दिन बिना रोकटोक के नदी से बालू निकाली जाती है। जिससे नदी की गहराई ज्यादा हो गई है। इसके चलते आसपास के गांवों और खेतों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लग गया है।
दिन में निकालकर रात में होती है ढुलाई
जिले से गुजने वाली छोटी गण्डक नदी से अवैध खनन कर माफिया सरकार को करोड़ो रूपए का चूना लगा रहे हैं। खनन के कारण बरसात में नदी के तेज कटान से हर साल नदी के किनारे बसे गांवों और किसानों के खेत डूब जाते हैं। दिन भर नदियों से सफेद बालू को निकाला जाता है। बाद में उसे बाहर स्टोर किया जाता है। रात को उसकी ढुलाई की जाती हैं। लेकिन स्थानीय प्रशासन और जिला खनन विभाग इससे अंजान बना हुआ है।
सालों पहले सरकार ने बंद किया था पट्टा
जिले में नेपाल की पहाड़ियों से निकलकर महाराजगंज के रास्ते खड्डा, कप्तानगंज, हाटा और कसया तससील से होकर गुजरने वाली छोटी गण्डक नदी आगे देवरिया से बहती हुई घाघरा में जाकर मिलती है। नदी की कुल लम्बाई 1310 किमी है। यह नदी जिले के किसानों के लिए लाभदायक है। पहाड़ियो से निकलने वाली इस नदी का सफेद बालू मकान निर्माण में भी काफी उपयोगी माना जाता है। यही कारण है कि बालू कारोबारिंयो की नजर छोटी गण्डक नदी पर हमेशा बनी रहती है। बिना मानकों के अवैध बालू की निकासी जब नदी के स्वरूप और उसकी कटान को प्रभावित करने लगी। तो कुछ सालों पहले सरकार ने छोटी गण्डक नदी के बालू घाटों के ठेके का पट्टा करना बंद कर दिया। ताकि किसानों की खेत और नदी के किनारे बसे गाव सुरक्षित रहे ।
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