देश में महंगाई अब मुद्दा नहीं रह गया है। सरकार को सब्सिडी और फ्री की योजनाओं को बंद कर देश का आर्थिक ढांचा को मजबूत करनी चाहिए। एक बड़ा तबका रसोई गैस की बढ़ी कीमतों का विरोध करता दिखा। देश में बढ़ रही महंगाई का विरोध किया।
अवनींद्र नाथ तिवारी ने गैस के कीमतों के बढ़ने को अप्रत्याशित नहीं मानते। वह कहते है मांग और आपूर्ति बड़ी के अंतर और अंतराष्ट्रीय बाजार में गैस के भाव के चढ़ाव और उतार के कारण ऐसा हो रहा है।
अयूब अहमद कहते हैं कि सरकार जब तक फ्री की योजनाएं चलाएगी तो देश की गरीबी और भुखमरी घटेगी नहीं, बल्कि बढ़ेगी। सरकार जब तक फ्री के योजनाओं को बंद कर बाजार पर नियंत्रण नहीं करेगी। तब तक महंगाई पर अंकुश नहीं लगा सकती।
इरसाद खान कहते हैं कि देश में गैस के मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर बहुत बढ़ गया है। जब तक दोनों के बीच के अंतर को कम नहीं किया जाएगा। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें घटती व बढ़ती रहेगी। सरकार को सब्सिडी को समाप्त कर देश के आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है।
अनिल पांडेय कहते है, महंगाई की चर्चा तब होती थी जब किसी बस्तु के दाम में अचानक उछाल आ जाता था। यहां अब हर बस्तु महंगी है। आम आदमी का जीवन यापन कैसे हो रहा, उसे वहीं अनुभव कर रहा। फ्री और सब्सिडी ने सबकी स्थिति खराब कर रख दी है।
प्रहलाद गौंड़ कहते है कि लगातार बढ़ रही महंगाई से सामान्य परिवारों की स्थिति बिगड़ गयी है। कृपाशंकर गुप्ता कहते है, अब महंगाई की आदत सी पड़ गयी है। जबकि नूर आलम कहते है, की महंगाई के कारण सामान्य परिवारों के लिए समस्या पैदा कर रहा।
ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले विजय गौड़, सलाउद्दीन सिद्दीकी, अरुण मिश्र, दिलीप मिश्र, मनोज कुमार कहते है कि क्या सस्ता है, अब इस पर विचार करने की जरूरत है। महंगाई ने दवाई, बच्चों की पढ़ाई और परिवार के परवरिस सभी को बर्बाद कर रखा है। सरकार आम आदमी की चिंता नहीं कर रही।
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