लखीमपुर खीरी में मंगलवार को जिले की 125 सहकारी समितियों पर संचालक मंडल चुनाव के लिए नामांकन होना था। लेकिन समितियों पर कहीं चुनाव अधिकारी नहीं पहुंचे। तो कहीं ताला ही नहीं खुला। जहां पर ताला खुला मिला भी तो वहां पर सम्बन्धित अधिकारियों के मौजूद न होने से प्रत्याशियों को पर्चा नहीं मिल सका।
कुछ ऐसा ही नजारा गोला गोकर्णनाथ तहसील क्षेत्र के कई स्थानों पर मंगलवार को नाम निर्देशन प्रपत्र दाखिल करने की प्रक्रिया के दौरान देखने को मिला। जहां पर अधिकांश समितियों पर लोगों को पर्चा ही नहीं मिला। वहीं विपक्षी पार्टियों ने सत्ता पक्ष पर सत्ता का दुरूपयोग करने के आरोप भी लगाये।
बिजुआ, पड़रिया, कुकरा, बांकेगंज, भानपुर, सिकन्दराबाद, गोला आदि समितियों पर नामांकन पर्चा लेने के लिए तमाम लोग सुबह से ही खड़े नजर आये। जब नामांकन पर्चा मिलने में देरी होते देख कई स्थानों पर लोगों ने हंगामा काटना शुरू कर दिया। जिला प्रशासन पर भी कई तरह के आरोप लगाये। कई राजनीतिक पार्टियों ने सत्ता पक्ष के नेताओं पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को ध्वस्त करने के आरोप लगाया। मंगलवार की दोपहर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता इस मामले में ज्ञापन देने के लिए डीएम कार्यालय पर भी पहुंचे। सपाइयों की भीड़ देखकर डीएम दफ्तर से उठकर चले गए। इससे नाराज सपाइयों ने जमकर हंगामा किया। दफ्तर के सामने धरना दिया और ज्ञापन दफ्तर के दरवाजे पर ही चिपका दिया।
किसान सेवा सहकारी समिति बांकेगंज में मंगलवार को प्रातः 10:00 से शाम 4:00 के बीच डेलीगेट पद हेतु नामांकन पत्र दाखिल किया जाना था। इसके लिए ग्राम विकास अधिकारी भास्कर राय को चुनाव अधिकारी बनाया गया था। चुनाव लड़ने के इच्छुक व्यक्ति सुबह से ही समितियों के चक्कर लगाते रहे। परंतु निर्वाचन अधिकारी ना आने की बात सुनकर वे चले जाते थे। चुनाव की इस व्यवस्था पर लोग टीका टिप्पणी करते रहे। समिति के कर्मचारियों से कोई भी बात पूछने पर वे जवाब देने से बचते रहे। निर्वाचन अधिकारी के न पहुंचने के बावजूद पुलिस की मौजूदगी सभी को हैरान करती रही।
समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष रामपाल यादव का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने संचालक मंडल का नाम पहले ही तय कर लिए हैं निर्विरोध निर्वाचन के जरिए लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जिसमें उच्चाधिकारी भी सत्ता के इशारे पर नाच रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष प्रहलाद पटेल ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार का पक्षपात रवैया है। 70 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है कि जनता जनार्दन को दरकिनार करते हुए। अपने मनमाने तरीके से अपने ही पदाधिकारी बना लिए हैं। चुनावी प्रक्रिया कहीं चालू ही नहीं हुई है। समिति में कई जगह ताला बंद मिला है। समितियों पर कोई भी पर्चे नही बांटे गए हैं। कई जगह पर पर्चे बांट दिया गए है। नाम मात्र के कई प्रत्याशी वोट नहीं डाल पाए हैं। लोकतंत्र की हत्या हुई है।
नामांकन के लिए नही मिला पर्चा, इधर-उधर पड़ा भटकना
किसान सेवा सहकारी समिति कुकरा के तत्कालीन डायरेक्टर रंजीत सिंह राना ने बताया कि महिला सीट होने के कारण वह अपनी माता दलवीर कौर पत्नी सत्यपाल सिंह निवासी खंजनपुर को इस बार चुनाव लड़ाना चाहते थे । लेकिन कुकरा में कोई भी अधिकारी न पहुंचा। जिसके बाद हम लोग घर वापस चले आये। सत्ता पक्ष के कारण सिर्फ तानाशाही है और कुछ नहीं। इस बात से पूरे क्षेत्र में रोष व्याप्त है।
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