गोला गोकर्णनाथ में संदिग्ध हालात में गई गौवंशों की मौत हो गई थी। गौवंशों का बिना पोस्टमार्टम कराए ही उन्हें दफना दिया गया था। इलाके के कुछ लोगों ने नगर पालिका की इस कार्यप्रणाली का विरोध जताया था।
सीएम के दौरे से पहले इन गौवंशों को वाहनों में ठूंसकर जंगल में छोड़ा गया था, कुछ को गौशाला में पहुंचा दिया था। इस दौरान कर्मियों ने गौवंशों की पिटाई की थी। कई गौवंशों की जंगल में मौत हो गई थी।
कार्रवाई के लिए याचिका
नगर पालिका अध्यक्ष, अधिशासी अधिकारी आदि पर मुकदमा दर्ज कराने के लिए याचिका दायर की गई है। सीजेएम ने 28 सितंबर की तिथि सुनवाई के लिए नियत कर पुलिस से रिपोर्ट मांगी है। दरअसल, 10 सितम्बर को गोला में सीएम के आगमन का कार्यक्रम जारी हो गया। आनन-फानन में नगर पालिका प्रशासन गोला ने गौवंशों को भी गौशाला में छुड़वाने के लिए कर्मचारियों को लगा दिया।
पशुओं के साथ की गई थी क्रूरता
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक इस दौरान कुछ गौवंशों को पकड़कर गौशाला भिजवा दिया गया था जबकि कुछ को बजाज चीनी मिल के पीछे कुकरा रोड स्थित जंगल में छोड़ दिया गया था। इस दौरान स्थानीय लोगों ने पशुओं की पिटाई करने का आरोप लगा दिया। कहा कि जंगल में छोड़े पशुओं की भूख-प्यास से तड़प कर मौत हो गई। नगर पालिका प्रशासन ने बिना पोस्टमार्टम के शवों को दफन करवा दिया। मामले में जुड़े कुछ वीडियो औी तस्वीरें सामने आईं थीं। इनमें पशुओं के साथ क्रूरता होती साफ नजर आ रही थी।
घटना को लेकर एक किसान नेता और एक अधिवक्ता ने कोतवाली गोला में नगर पालिकाध्यक्ष और इओ पर एफआईआर के लिए तहरीर दी थी। इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। ग्राम बांस गांव निवासी संत रामनिवास शुक्ल ने अपने अधिवक्ता संतोष त्रिपाठी के माध्यम से कोर्ट में एफआईआर के लिए याचिका डाली है। मामले में सीजेएम ने 28 सितंबर को पुलिस से आख्या मांगी है ।
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