यूपी के लखीमपुर जिले में आतंक मचाने वाली बाघिन को वन विभाग ने पकड़ लिया है। बाघिन को रात तीन बजे राम जानकी मंदिर क पास लगे पिंजरे में कैद किया गया। उसके तुरंत बाद ही बाघिन को बहराइच की कतर्निया घाट रेंज भेजा गया। यहां बाघिन का डॉक्टरी परीक्षण किया जाएगा, उसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा कि बाघिन को कहां छोड़ा जाए, क्योंकि डीडी दुधवा संरक्षक वन की तरफ से अधिकारिक बयान नहीं आया है। बता दें कि इस बाघिन ने खीरी जिले में पिछले दो सालों से अब तक 21 लोगों को अपना शिकार बना चुकी है।
एक हफ्ते में 5 पर हमला, दो की मौत
वन विभाग द्वारा बाघिन को पकड़ने का यह कार्रवाई तब शुरू की गई, जब पिछले एक हफ्ते में बाघिन ने 5 लोगों पर हमला कर दिया। आदमखोर बन चुकी बाघिन से निघासन इलाकावासियों में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया था। लोग खेतों में चारा काटने जाने से भी डरते थे कि कहीं बाघिन उनको अपना निवाला न बना ले। बीते दो दिनों में बाघ के हमले में 2 लोगों की मौत हो गई। हमले में एक किसान और एक महिला किसान की मौत हुई है। किसान अपने खेत पर काम कर रहा था, तभी बाघ उसको खींच ले गया था, जिसका शव गांव के बाहर रविवार देर रात मिला था। खेत में चारा काटने गई महिला पर बाघ ने हमला किया था, जिसका शव सोमवार दोपहर में गन्ने के खेत में मिला।
वन विभाग पर लगे थे लापरवाही के आरोप
इलाके में बढ़े बाघिन के हमले के कारण लोगों में वन विभाग के प्रति आक्रोश पनप चुका था। लोगों का कहना है कि विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा, क्योंकि बाघिन को पकड़ने के लिए क्षेत्र में पिंजरे तो लगाए जाते लेकिन उसमें बाघिन फंस ही नहीं रही थी।
2 साल में 21 लोगों की गई जान, सहायता राशि भी नहीं मिली
बाघिन के हमले से मरने वालों में इंद्रजीत, मंगत सिंह, राममूर्ति, ओमप्रकाश, शाहिद, शिवकुमार, ओमप्रकाश, प्रीतम, अवधेश, ज्ञान सिंह, प्यारे लाल, भंवरी लाल, सुरजीत सिंह, राहुल, मुंशी, महेश, कमलेश, मूलचंद, देबू, नरेंद्र और मिंदो शामिल हैं। इनको लेकर दो सालों में 21 मौतें हो चुकी हैं। मृतकों के परिजनों का कहना है कि वन विभाग के नियमों के तहत मृतक परिवार को 5 लाख रुपये मिलने का का प्रावधान है, लेकिन ये राशि आज तक नहीं मिली।
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