निघासन इलाके के तिकुनियां कोतवाली क्षेत्र की भारत नेपाल सीमा पर हर छोटे-बड़े पगडंडी से यूरिया की जमकर तस्करी हो रही है, दिन हो या रात इन खाद तस्करों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। जिम्मेदारों के साथ-साथ तस्करों की चांदी ही चांदी है।
तस्करों की बात करें तो इन दिनों तिकुनिया कोतवाली के थाना क्षेत्रों में खाद की तस्करी बिना किसी रोक-टोक के दिन रात चल रही है, तस्करी का कारोबार कोतवाली क्षेत्र सहित नेपाल बॉर्डर पर खुलेआम होता है, बॉर्डर पर बैठे जिम्मेदार शांत बैठे हैं जैसे इन्हें कुछ पता ही नहीं है।
एक तरफ जहां कोरोना काल में भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है वहीं अब कोरोना का संकट कुछ कम हुआ तो अर्थव्यवस्था पटरी पर आना शुरू हुई लेकिन तिकुनिया कोतवाली क्षेत्र में सुबह 5:00 बजे से लेकर रात 9:00 बजे तक लगातार मोटरसाइकिल व साइकिल के द्वारा यूरिया सहित अनेक रसायनिक खादों का विभिन्न घाटों से तस्करी का कार्य किया जा रहा, एक खाद तस्कर से गुप्त तरीके से बात करनी चालू की गयी तो उसने नाम का खुलासा न करने की शर्त पर बताया कि इलाके के जिम्मेदार खाद की तस्करी में प्रति गाड़ी ₹100 लेते हैं तब जाकर खाद सीमा के इस पार से उस पार जा पाती है।
इसी के चलते तस्कर एक बाइक पर तीन से चार बोरी यूरिया बांधकर तेज गति से फर्राटा भरते हुए दिखाई देते हैं, तस्करी के इस खेल को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे तस्करों को तश्करी करने का कोई लाइसेंस प्राप्त है, तभी तो बिना रोकटोक के खाद सहित अन्य सामानों को बॉर्डर पार करते हैं और सीमा के अंदर से लेकर बॉर्डर पर तैनात किसी भी सुरक्षाकर्मी जैसे पुलिस, कस्टम, एसएसबी, और तहसील के जिम्मेदार अधिकारी रोकने का जहमत नहीं उठाते हैं।
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