प्रदेश की राजधानी में 500 वर्ष के इतिहास को संजोये हुए है। ऐश बाग में इस बार हाई टेक तरीके से रामलीला का लाइव टेली कास्ट किया जा रहा है। डिजिटल माध्यम से रामलीला का प्रसारण करने के लिए एक बेवसाइट बनाई गई है। वहीं लखनऊ के करीब चालीस किलोमीटर मलिहाबाद के रहीमाबाद में आजकल के तनाव के माहौल के बावजूद भी गंगा–जमुनी तहज़ीब को आगे बढ़ाते हरए कई सालों से रामलीला जैसे धार्मिक कार्यक्रमों में आधा दर्जन मुस्लिम युवकों द्वारा सीता‚ कैकेई‚ कुबेर‚ हनुमान सहित कई रोल कई सालों से निभा रहे हैं। इसके अलावा इस रामलीला में व्यवस्थापक व संचालन में काम छोड़कर बढ़ चढ़कर अपना योगदान दे रहे। इलाके के कैथुलिया गांव में चल रही रामलीला चर्चा का विषय बनी हुई है। जय बजरंग बली रामलीला समिति के कैथुलिया गांव में कई दशकों से पांच दिवसीय रामलीला का आयोजन किया जाता है।
भीड़ न हो इसलिए स्टूडियो से डिजीटल तरीका अपनाया
राम लीला समिति ऐशबाग लखनऊ के सचिव- संजोजक पंडित आदित्य द्विवेदी का कहना है कि, 500 वर्ष पुराना इतिहास सोलवी शताब्दी पूर्व तुलसी दास जी ने 4 महीना लखनऊ के ऐशबाग में प्रवास किया था और तभी से रामलीला अभिनय के माध्यम से चलती आ रही है आप रामलीला को ऐशबाग रामलीला ग्राउंड की वेबसाइट www.aishbaghramleela.org पर देख सकते हैं। और आज भी उसी परंपरा का पालन करते हुए रामलीला का आयोजन होता है।
सचिव बताते है कि, अब ऑनलाइन घर बैठे ही रामलीला का मंचन देख रहे हैं। क्योंकि यहां की रामलीला का इतना महत्व है कि यहां पर कोरोना से पहले होने वाली हर साल की रामलीला में हजारों लोगों की भीड़ देखने आती थी। अब कोरोना गाइडलाइंस के अनुसार ज्यादा भीड़ ना जुटे इसके लिए अब लोगों के घर तक यह रामलीला डिजिटल माध्यम से पहुंचाई जा रही है। जिसका लाइव टेली कास्ट रामलीला ग्राउंड में बने स्टूडियो से सीधा प्रसारण किया जा रहा है। आप रामलीला को ऐशबाग रामलीला ग्राउंड की वेबसाइट www.aishbaghramleela.org पर देख सकते हैं। साथ ही फेसबुक पेज और उनके यूट्यूब चैनल पर भी कहीं से भी बैठकर इसका आनंद ले सकते है। रामलीला शाम 6 बजे से शुरू होती है। ऐशबाग रामलीला ग्राउंड में पहले बाहर से कलाकार रामलीला करने आते थे, लेकिन कोरोना के कारण अब लखनऊ के ही सारे कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन 2 वर्षो से कर रहे हैं।
कैथुलिया गांव में गंगा–जमुनी तहजीब का अनूठा संगम
रहीमाबाद आजकल के तनाव के माहौल के बाबजूद भी गंगा–जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाते हुए कई सालों से रामलीला जैसे धार्मिक कार्यक्रमों में आधा दर्जन मुस्लिम युवकों द्वारा सीता‚ कैकेई‚ कुबेर‚ हनुमान सहित कई रोल कई सालों से निभा रहे हैं। इसके अलावा इस रामलीला में व्यवस्थापक व संचालन में काम छोड़कर बढ़ चढ़कर अपना योगदान दे रहे। इलाके के कैथुलिया गांव में चल रही रामलीला चर्चा का विषय बनी हुई है। जय बजरंग बली रामलीला समिति के कैथुलिया गांव में कई दशकों से पांच दिवसीय रामलीला का आयोजन किया जाता है। पूर्व ग्राम प्रधान कैथुलिया विनोद सिंह व शिवपाल मौर्य‚ जगतबहादुर‚ अमरेश श्रीवास्तव‚ सोहन लाल रावत ने बताया कि इस रामलीला में पिछले पन्द्रह सालो से हनुमान का रोल लाल मोहम्मद करते चले आ रहे हैं। जो लख़नऊ में रहकर टैक्सीे चलाकर अपनी रोजी–रोटी चलाते हैं। लेकिन रामलीला आयोजन के दौरान गांव में रह कर पूरा समय रामलीला कार्यक्रमों में बड़े उत्साह से देते है।
पिता निभाते थे हनुमान तो बेटा सीता-केकैई का रोल
कैथलिया गांव के रहने वाले शकील अहमद भी पिछले पन्द्रह सालो से सीता‚ केकैई का रोल निभाते हुए आ रहे हैं। गांव के ही नौशाद व इकबाल भी इस रामलीला मे कई रोल विगत कई वषों से निभाते चले आ रहे है। लाल मोहम्मद से बताया कि मेरे पिता मजीद अहमद भी इसी गांव में आयोजित होने वाली रामलीला में हनुमान जी का रोल निभाते रहते थे। उनकी मृत्यु के बाद उन्ही की प्रेरणा से हम भी पिछले एक दशक से रामलीला कार्यक्रमों में हनुमान जी का ही रोल निभाते चले आ रहे है। नौशाद‚ इकबाल अहमद गाजी सहित कई गांव के लोग अपना काम छोड़कर कर इस धार्मिक कार्यक्रम में अपना सक्रिय योगदान देते चले आ रहे हैं। तकिया निवासी शरीफ भी रामलीला में विगत कई वर्षों से ढोलक बजाने के साथ अन्य भूमिका भी निभाते हैं। पूर्व प्रधान उस्मान ने बताया कि इसके अलावा गांव के दर्जनों मुस्लिम समाज के लोग इस रामलीला में बढ़–चढ़ कर हर तरह का सहयोग करते हैं।
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