राज्य में कोरोना के केस नए साल के पहले 7 दिनों में 1000% बढ़ गए हैं। एक्टिव केस भी 10 गुना बढ़ गए हैं। हालात खतरनाक हैं, मगर सुकून की बात ये है कि संक्रमितों के अस्पताल में भर्ती होने की दर अभी बहुत नीचे है। 7 जनवरी के आंकड़े बताते हैं कि अभी राज्य में सिर्फ 368 मरीज ही अस्पतालों में भर्ती हैं। यानी, सिर्फ 2.9% मरीज ही अस्पताल में हैं।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान राज्य में हॉस्पिटलाइजेशन की दर 9% तक पहुंच गई थी। दूसरी सुकून की बात ये है कि राज्य स्वास्थ्य विभाग का पोर्टल बताता है राज्य के 98% अस्पतालों में बेड खाली पड़े हैं। राजधानी लखनऊ में उपलब्ध बेड में से सिर्फ 2 ही उपयोग में हैं, बाकी खाली पड़े हैं।
टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 1.83%, रिकवरी रेट 98%
राज्य में अभी टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 1.83% बनी हुई है। रिकवरी रेट 98% पर है। इसमें 1 जनवरी के मुकाबले मामूली गिरावट आई है। 1 जनवरी को रिकवरी रेट 98.6% थी।
एक्टिव केस बढ़े, मगर ज्यादातर होम आइसोलेशन में
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के ज्यादातर संक्रमितों में लक्षण नहीं दिखते हैं। ऐसे मरीजों को अभी होम आइसोलेशन में ही रखा जा रहा है। राज्य में 7 दिसंबर को एक्टिव केस तो 12327 थे, मगर इनमें से 11959 मरीज होम आइसोलेशन में हैं। यानी, सिर्फ 368 मरीज ही फिलहाल अस्पताल में हैं।
राजधानी में सिर्फ 2 बेड पर ही मरीज
स्वास्थ्य निदेशालय के पोर्टल के मुताबिक राजधानी लखनऊ में कोविड बेड उपलब्ध कराने वाले 36 अस्पतालों में से सिर्फ दो अस्पतालों में एक-एक बेड पर ही मरीज हैं। बाकी बेड खाली पड़े हैं। सबसे बड़े दो अस्पतालों बलरामपुर हॉस्पिटल (320 बेड) और इरा मेडिकल कॉलेज (400 बेड) में सभी बेड खाली हैं।
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