लखनऊ विकास प्राधिकरण ने छवि खराब करने वाले दो बाबूओं को बर्खास्त कर दिया है। बाबू अजय वर्मा एवं मुसाफिर सिंह को वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी के आदेश के बाद बर्खास्त किया गया है। यह दोनों बाबू काफी समय से निलम्बित चल रहे थे। विभागीय जांच में दोषी पाए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई है।
अवैध कब्जेदारों को बढ़ावा का आरोप
अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा ने बताया कि प्राधिकरण में कनिष्ठ लिपिक के पद पर तैनात अजय वर्मा पर गोमती नगर के वास्तुखण्ड स्थित भवन संख्या-3/710 के निरस्तीकरण की सूचना न देने तथा उक्त भवन की पत्रावली चार्ज में न देने एवं परोक्ष रूप से अवैध कब्जेदारों को बढ़ावा देते का आरोप है । इसकी वजह से प्राधिकरण को आर्थिक नुकसान हुआ था। इसकी वजह से उसको निलम्बित किया गया था।
मृतक की आईडी का किया गया प्रयोग
अजय वर्मा पर गोमती नगर के वास्तुखण्ड में स्थित अलग-अलग भूखण्डों के संदर्भ में अन्य व्यक्तियों का नाम बिना अनुमति के कम्प्यूटर पर मृतक लोगों की आईडी का प्रयोग कर दिया। इसके बाद उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करायी गयी। जांच के दौरान आरोपी बाबू अपने तैनाती स्थल से गायब हो गया तथा मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ कर लिया गया।
90 लाख रुपए वसलूने का आरोप
विधि अनुभाग में कनिष्ठ लिपिक पद पर कार्यरत मुसाफिर सिंह द्वारा एक भूखण्ड का समायोजन कराकर रजिस्ट्री कराने के नाम पर बैजनाथ से 55 लाख रुपए व उसके साथी राकेश चन्द्र से 45 लाख रुपए अनैतिक रूप से लिए। एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी मुसाफिर सिंह द्वारा जमीन का समायोजन नहीं कराया गया। बैजनाथ एवं राकेश चन्द्र द्वारा अपना पैसा वापस मांगने पर मुसाफिर सिंह ने इनकार कर दिया। मुसाफिर सिंह द्वारा किए गए इस कृत्य से हुई मानसिक व आर्थिक परेशानी के चलते बैजनाथ ने चारबाग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली, जिस पर मुसाफिर सिंह के खिलाफ जीआरपी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। , जिसमें पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके जेल भेजा था। मामले में कनिष्ठ लिपिक मुसाफिर सिंह को निलम्बित करते हुए विभागीय जांच प्रचलित की गयी थी। अब उसे भी बर्खास्त कर दिया गया है।
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