यूपी में मदरसों के सर्वे के बाद अब वक्फ संपत्तियों की भी जांच की जाएगी। योगी सरकार ने 33 साल पुराने आदेश को रद्द करते हुए वक्फ संपत्तियों को राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने के आदेश दिए हैं। वक्फ के नाम से अभिलेखों को दर्ज किया जाएगा। सर्वे के आदेश के बाद अब विपक्षी पार्टियां सरकार को घेर रही हैं।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार वक्फ की जांच करवाकर मुद्दा भटका रही है। सर्वे के खिलाफ हैं। सर्वे नहीं होना चाहिए। सरकार आजम खान को फिर फंसा रही है। छापामार मंत्री के लिए क्या गलत कहा। सरकार सिर्फ हिंदू-मुस्लिम कर रही है।
उधर, सुन्नी धर्म-गुरु और दारुल उलूम फरंगी महली के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे होना चाहिए। इसमें कोई आपत्ति नहीं है। जो भी वक्फ की जमीनों पर हुए कब्जे हैं, उसको हटाया भी जाएगा। यह भी उम्मीद की जा रही है। सर्वे कराने से जो भी भ्रष्टाचार हुआ है, वह भी सामने आएगा। बस जिन वक्फ संपत्तियों पर सरकारी दफ्तर है उनके किराए का कुछ हिस्सा वक्फ बोर्ड में जमा हो।
आप मुसलमानों को परेशान कर रहे हैं: AIMIM
AIMIM के प्रवक्ता सैयद असीम वकार ने वक्फ बोर्ड की जमीन के सर्वे पर कहा, "अभी तक तो कहा जा रहा था कि छोटी NRC करा रहे हैं, लेकिन अब कहा जा रहा है कि आप बड़ी NRC करा रहे हैं। सच्चाई ये है कि आप मुसलमानों को परेशान कर रहे हैं। ये एक तरफा कार्रवाई है। कई बड़े-बड़े धर्मशाला हैं, मठ हैं, मंदिर हैं। उनके पास भी बहुत जमीन है, इनकी जांच कब होगी? इनके भी बड़े-बड़े ट्रस्ट हैं। हमने तो इनमें भी कई घोटालों की बात सुनी है। वक्फ बोर्ड में घोटाले की जांच कीजिए, पर अपनी मंशा साफ कीजिए। अगर कहीं और भी घोटाले हो रहे तो वहां भी जांच कराइए।"
क्या है 33 साल पुराना आदेश
7 अप्रैल 1989 को जारी किए गए शासनादेश को निरस्त करते हुए फिर से प्रक्रिया शुरू किए जाने का आदेश दिया गया है। अल्पसंख्यक कल्याण और वक्फ बोर्ड के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 7 अप्रैल, 1989 को एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि यदि सामान्य संपत्ति बंजर, ऊसर आदि का इस्तेमाल वक्फ कब्रिस्तान, मस्जिद, ईदगाह के रूप में कर रहा है तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में ही दर्ज कर दिया जाए।
33 साल की वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड किया जाएगा दुरुस्त
उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण और वक्फ बोर्ड के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी ने बताया कि 7 अप्रैल 1989 से लेकर अब तक यानी 33 साल के वक्फ बोर्ड की जो बंजर, ऊसर सहित अन्य भूमि थी, जिनका रिकॉर्ड नहीं दर्ज किया गया। अब उनका ब्योरा जुटाया जाएगा।
उप सचिव ने बताया कि शासन द्वारा एक बार फिर से उत्तर प्रदेश मुस्लिम वक्फ अधिनियम 1960 को लागू करते हुए वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों का रिकॉर्ड मेंटेन किया जाएगा। ऐसी संपत्तियों के रिकॉर्ड में कब्रिस्तान, मस्जिद, ईदगाह जैसी स्थिति में सही दर्ज है या नहीं, इन सबका अवलोकन किया जाएगा।
एक महीने में देनी होगी शासन को रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के सभी DM और कमिश्नर को एक कमेटी बनाकर जिले में वक्फ बोर्ड की जमीनों को चिह्नित किया जाएगा। उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी बताते हैं कि 33 साल पहले 7 अप्रैल 1989 को बनाए गए कानून के बाद वक्फ संपत्तियों की जो भी जमीन हड़पी गई या उनको किसी को भेज दिया गया। इन सब की जांच होगी। जांच रिपोर्ट DM और कमिश्नर को एक महीने में करवा कर शासन को सौंपनी होगी।
देश में सेना, रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक जमीन
देश में वक्फ बोर्ड के पास भारतीय सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन है। यानी, वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है। वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक, देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल मिलाकर 8 लाख 54 हजार 509 संपत्तियां हैं। जो 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैली है।
UP में वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे
UP में वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे बीते दिनों सामने आ चुके हैं। अलीगढ़ में 4138 वक्फ संपत्तियों को चिह्नित किया जा चुका है। इसमें से कुछ संपत्तियों पर अवैध कब्जे हैं।
15 अक्टूबर से शुरू हुआ है मदरसों का सर्वे
योगी सरकार ने मदरसों का सर्वे कराने का फैसला किया था। सभी जिलों में SDM के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया है। टीमों ने मदरसों का सर्वे करना भी शुरू कर दिया है। 15 अक्टूबर तक मदरसों का सर्वे करके शासन को रिपोर्ट सौंपनी है।
पूरे प्रदेश में कुल 16 हजार 500 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। इनमें से 558 अनुदानित मदरसे हैं और 7 हजार 442 आधुनिक मदरसे हैं। इन सभी मदरसों में कुल 19 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। मदरसा सर्वे को लेकर हंगामा भी बरपा है।
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