आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी (AI) से प्रदेश में नहरों का कटान रोकने की बड़ी तैयारी की जा रही है। आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक साधनों से सिंचाई व्यवस्था को और प्रभावी बनाया जा रहा है। जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने मंगलवार को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय यानी AKTU से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर चर्चा की।
जलशक्ति मंत्रालय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल वाटर मैनेजमेंट के लिए करना चाहता है। दावा है कि सिंचाई में तकनीकी के उपयोग से बहुत जल्द बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा। विभाग की योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग को बढ़ावा देने की तैयारी में हैं।
नहरों की कटान रोकने में मदद करेगा AI
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से नहरों का कटान रोका जा सकेगा। नहरों का रखरखाव भी बेहतर होगा। जल-शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने AKTU के विशेषज्ञों से इस पर चर्चा भी की। स्वतंत्र देव सिंह ने कहा, "खेत और किसान सरकार की प्राथमिकता में है। सिंचाई व्यवस्था इसका आधार है। आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक साधनों का उपयोग कर सिंचाई और जल संसाधन विभाग प्रदेश की सिंचाई व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाएगा।"
कैसे मदद करेगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस?
उत्तर-प्रदेश की नहरों में होने वाले कटान से पानी की बर्बादी को रोकने के लिए यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जाएगी। AI के जरिए यह सेकंड में पता चल जाएगा कि नहर में ब्रेक-डाउन या कटान कहां हुई है। यह नहर परियोजना नेटवर्क पर होने वाले खतरों की निरंतर निगरानी करके आंकड़ों और गतिशीलता के विश्लेषण द्वारा 'ग्रेस्पॉट्स' की पहचान भी करेगी।
जल प्रबंधन में भी होगा तकनीकी का इस्तेमाल
सरकार प्रदेश में जल प्रबंधन को लेकर कई तरह की योजनाएं चला रही है। जिसमें सबसे महत्वाकांक्षी योजना हर घर जल है। आने वाले समय में प्रदेश के हर घर में नल के माध्यम से पानी की सप्लाई होगी। साथ ही नदियों की सफाई प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में है। ऐसे में तकनीकी सहयोग और विशेषज्ञों की राय की महत्वपूर्ण भूमिका है।
इसी को ध्यान में रखते हुए जल शक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने प्रदेश में नदियों, नालों, तालाबों, कुंओं आदि के सफाई पर विषय विशेषज्ञों से विस्तार से चर्चा की और कहा कि सरकार की मंशा है कि प्रदेश में जल प्रबंधन का कार्य तेजी से हो। इस कार्य में विशेषज्ञ और तकनीकी सहयोग जरूरी है। इस दिशा में एकेटीयू का सहयोग भी जरूरी है। यहां के विशेषज्ञ अपने अनुभव और शोध के जरिए निश्चित ही लाभ पहुंचाएंगे।
उत्तर-प्रदेश में है नहरों का जाल
नहरों के वितरण एवं विस्तार की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का स्थान सबसे ऊपर है। यहां की कुल सिंचित भूमि का लगभग 30 प्रतिशत भाग की सिंचाई नहरों से ही होती है। यहां की नहरें भारत की सबसे पुरानी नहरों में से एक हैं।
उत्तर प्रदेश की प्रमुख नहरों और बांध
1. ऊपरी गंगा नहर
2. मध्य गंगा नहर
3. निचली गंगा नहर
4. रामगंगा नहर
5. पूवी यमुना नहर
6. आगरा नहर
7. शारदा नहर
8. सरयू या घाघरा नहर
9. घाघरा नहर
10. बेतवा नहर
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