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उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि पर भगवान रामलला के मंदिर का निर्माण जारी है। इन दिनों यहां नींव भरने की प्रक्रिया चल रही है। इस बीच श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जन्मभूमि के रज कण (मिट्टी) को धरोहर के रुप में देश के हर कोने व घर-घर तक पहुंचाने का निर्णय लिया है। इस पर काम शुरू भी हो गया है। रोजाना यहां रामलला का दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं इस पवित्र रज कण को पैक्ड डिब्बे में अपने साथ ले जा रहे हैं।
आस्था का प्रतीक पवित्र मिट्टी
ट्रस्ट कार्यालय के प्रभारी प्रकाश गुप्ता का कहना है कि मंदिर निर्माण से निकली मिट्टी राम सेवक पुरम में रखी है। मठ मंदिरों के संतों व बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं ने राम मंदिर स्थल से मिले रजकण की मांग की है, जिसे छोटी डिब्बे में पैक करके कारसेवक पुरम से वितरित की जा रही है। राममंदिर निर्माण के लिए नींव की खुदाई में निकली मिट्टी भक्तों के लिए आस्था की प्रतीक बन गई है। इसीलिए ट्रस्ट ने इस मिट्टी को 'रामजन्मभूमि रजकण' नाम दिया है। गर्भगृह व मंदिर परिसर से निकली मिट्टी को छोटी-छोटी डिब्बियों में पैक किया गया है।
कारसेवकपुरम से हो रहा वितरण
कारसेवकपुरम से अयोध्या दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को रजकण भेंट किया जा रहा है। जिसके लिए बड़ी संख्या में लोग रजकण के लिए कारसेवक पुरम पहुंच रहे हैं। श्रद्धालु अब तक रामलला के दर्शन तो करते थे, लेकिन उनके मन में रामलला का प्रसाद साथ न ले जा पाने की कसक बनी रहती है। लेकिन, अब रामलला का दर्शन करने वालों को बड़े साइज का इलायची दाने का पैकेट दिया जा रहा है। इसी इलायची दाने का भोग रामलला को लगता है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से ट्रस्ट ने फिलहाल चरणामृत के वितरण पर रोक लगा दी है।
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