लखनऊ की संगीत नाट्य एकेडमी में गुरुवार को ‘सन् 2025’ नाटक का मंचन हुआ। मनोमय वेलफेयर सोसाइटी द्वारा प्रस्तुत ये नाटक इन्सिडैन्ट ऐट ट्वाइलाइट का हिन्दी रूपांतरण था। पीयूष मिश्रा ने इस नाटक का हिन्दी रूपांतरण किया और निर्देशन दिया भूपेन्द्र प्रताप सिंह ने।
इस नाटक में दो ही पात्र थे। एक था मशहूर राइटर, धीरज ब्रह्मतमे और दूसरा एक प्राइवेट जासूस गड़गड़ सूफी। ये नाटक राइटर की रहस्यमयी जिंदगी से परदा उठाता है। नाटक की कथा कुछ यूं थी की, ब्रह्मतमे जो की क्राइम उपन्यासकार है, गोमती नगर के एक महंगे होटल के कमरे मे ठहरा हुआ है। ब्रह्मतमे शराबी होने के साथ ही कई महिलाओं के साथ संबंध रखने वाला इंसान भी है। इस दौरान एक इटावा का प्राइवेट जासूस, सूफी उसके कमरे में आ जाता है।
सूफी ब्रह्मतमे से कहता है की वो उसका बहुत बड़ा फैन है। धीरे-धीरे दोनों में बातचीत शुरू होती है। इस दौरान ब्रह्मतमे, सूफी में दिलचस्पी लेने लगता है। फिर सूफी ब्रह्मतमे के सभी 22 उपन्यासों की अनैलिसिस करने लगता है। इसे देख ब्रह्मतमे उसमे और दिलचस्पी लेने लगता है। फिर सूफी ब्रह्मतमे से कहता है की वो पिछले कई सालों से उसका पीछा कर रहा है। उसके हर उपन्यास को बारीकी से पढ़ने के साथ ही उसमे लिखे सभी जुर्मों की तह तक गया है।
इस दौरान सूफी ब्रह्मतमे को एक लिस्ट दिखाता है। इस लिस्ट में 22 महिलाओं और अन्य लोगों के नाम होते हैं जिनका रेप या हत्या हुई थी। उन सब हत्याओं के वक्त ब्रह्मतमे उस जगह पर मौजूद था। सूफी ब्रह्मतमे का भंडाफोड़ कर देता है। वो साबित कर देता है की ब्रह्मतमे के हर उपन्यास में उन्ही हत्याओं का जिक्र है, जिन्हें उसने खुद किया है। वो हर हत्या के बाद उसी पर अपना अगला उपन्यास लिखा करता था।
सूफी ब्रह्मतमे से मांग करता है कि, वो उसके जिंदगी भर का खर्च उठाए। ऐसा करने से वो दुनिया के सामने उसका असली चेहरा नहीं दिखाएगा। लेकिन अंत में ब्रह्मतमे उसे भी मारने के लिए पिस्तौल निकाल लेता है। वो कहता है कि ‘’सूफी, तुम्हें मार कर अब मै अपना अगला उपन्यास लिखूँगा’’। घबराकर सूफी बालकनी से कूदकर अपनी जान दे देता है।
कुछ इस तरह थी नाटक ‘सन् 2025’ की कहानी। इस नाटक ने लोगों को आखिरी वक्त तक सीटों पर बांधे रखा। रोमांच से भरे इस नाटक ने खूब तालियां बटोरीं।
नाटक में ये थे ऐक्टर
धीरज ब्रह्मतमे- रोहित सिंह।
गड़गड़ सूफी- भूपेन्द्र प्रताप सिंह।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.