यूपी चुनाव का बिगुल बज चुका है। वहीं, जातीय समीकरण को साधने में पार्टियां लगी हुई है। सपा से गठबंधन की बात न बनने पर चन्द्र शेखर आजाद दलितों के महामना कहे जाने वाले बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की राह पर चल पड़े हैं। उन्होंने अपनी पार्टी आजाद समाज से सूबे में हिन्दूव का चेहरा माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। इससे सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। हालांकि, परिणाम क्या होंगे ये तो बाद की बात है।
ये चुनाव से चन्द्र शेखर रावण को क्या होगा फायदा
वरिष्ठ पत्रकार परवेज अहमद बताते हैं कि दलित चेहरा चन्द्र शेखर रावण गोरखपुर शहर की सीट से चुनाव लड़ने से उनका राजनीतिक कद बढ़ेगा। चन्द्र शेखर दलित के साथ -साथ मुस्लिमों में यह विश्वास जताने में सफल होंगे कि भाजपा के विकल्प में वह खुल कर भाजपा के खिलाफ है। जो वह कहते हैं, वो करते भी हैं। इसी तरीके से कांशीराम बहुजन समाज पार्टी की स्थापना करने के बाद चुनाव लड़कर दलित व मुस्लिमों में विश्वास कायम करने का फार्मूला अपनाया था।
कौन हैं काशीराम, क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार
दलितों के मसीहा कांशीराम ने जब अपनी पार्टी बना करके पहला चुनाव 1984 में लड़ा था तो उन्होंने कहा था 'बहुजन समाज पार्टी' पहला चुनाव हारने के लिए, दूसरा चुनाव नजर में आने ले लिए और तीसरा चुनाव जीतने के लिए लड़ेगी। 1988 में उन्होंने भावी प्रधानमंत्री वीपी सिंह के खिलाफ इलाहाबाद सीट से चुनाव लड़ा और प्रभावशाली प्रदर्शन किया, लेकिन 70,000 वोटों से हार गए।
पत्रकार परवेज अहमद ने कहा कि चन्द्र शेखर का उम्मीदवार होना भी कांशीराम के पैटर्न की याद दिला रहा है। ऐसे ही कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी की स्थापना से लेकर कई करीब चार से ज्यादा चुनाव लड़े। लेकिन, जीते वह तब जब (वर्ष 1991) उन्होंने गठबंधन से उत्तर प्रदेश की इटावा सीट से लोकसभा का चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद उत्तर प्रदेश से वह कोई भी चुनाव नहीं जीते। चन्द्र शेखर का मुख्यमंत्री योगी के खिलाफ चुनाव लड़ने का परिणाम आजाद चंद्रशेखर रावण को मालूम है। इसके बावजूद चुनावी मैदान में उतर कर खुद की चर्चा कराने में सफल रहेंगे।
भीम आर्मी का गठन कैसे हुआ?
एडवोकेट चंद्रशेखर बताते हैं कि भीम आर्मी की स्थापना दलित समुदाय में शिक्षा के बढ़ावा देने को लेकर अक्टूबर 2015 में हुई थी, फिर सितंबर 2016 में सहारनपुर के छुटमलपुर में स्थित एएचपी इंटर कॉलेज में दलित छात्रों की कथित पिटाई के विरोध में हुए प्रदर्शन से ये संगठन पहली बार चर्चा में आया। चंद्रशेखर गांव मे दलित बच्चों के साथ राजपूतों के द्वारा होने वाले गलत बर्ताव का खुल कर विरोध करते थे और घड़कौली गांव में "द ग्रेट चमार" का बोर्ड लगाया था। मई 2017 में सहारनपुर में जातीय दंगा में फैलाने में आरोप में चंद्र शेखर 2017 में जेल गए थे। उसके उन पर रासुका भी लगाई थी।जिसके बाद 16 महीने जेल भी काटी थी।
काशीराम का राजनीतिक इतिहास
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