महिलाओं के खिलाफ अपराध में नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत:उत्‍तर प्रदेश विधानसभा में CRPC संशोधन विधेयक हुआ पास

लखनऊ6 महीने पहले
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विधानसभा से मॉनसून सत्र के अंतिम दिन दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) विधेयक 2022 ध्वनि मत से पारित हो गया है। - Dainik Bhaskar
विधानसभा से मॉनसून सत्र के अंतिम दिन दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) विधेयक 2022 ध्वनि मत से पारित हो गया है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर सीएम योगी कितने सख्त है। इसका अंदाजा आज विधान सभा से पास हुए विधेयक के प्रावधानों से आसानी से लगा सकते हैं। योगी सरकार ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए र बड़ा कदम उठाया है। यूपी में अब महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध के मामलों में आरोपियों को अब अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी।

योगी सरकार ने इसके लिए दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन कर दिया है। यूपी विधानसभा से मॉनसून सत्र के अंतिम दिन दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) विधेयक 2022 ध्वनि मत से पारित हो गया है। इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद अब महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिल पाएगी।

दंड प्रक्रिया संहिता (उत्‍तर प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2022 पारित
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्‍ना ने शुक्रवार को सदन में दंड प्रक्रिया संहिता (उत्‍तर प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2022 पारित करने का प्रस्ताव रखा। विधेयक के पक्ष में सत्ताधारी सदस्यों के बहुमत की वजह से विधानसभा अध्‍यक्ष सतीश महाना ने इसे पारित करने की घोषणा की। CRPC में बदलाव के जरिये महिलाओं के खिलाफ होने वाले घृणित और गंभीर अपराध के मामलों में अग्रिम जमानत के प्रावधान को खत्म कर दिया जाएगा।

संशोधन में क्या है खास?

  1. यौन उत्पीड़न से जुड़े अपराधों के अलावा, गैंगस्टर एक्ट, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट, ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट और मृत्युदंड से जुड़े मामले अदालतों से अंतरिम राहत के रूप में अग्रिम जमानत के लिए पात्र नहीं होंगे।
  2. संशोधन बच्चों के यौन अपराधों से संरक्षण यानी POCSO अधिनियम 2012 और सभी बलात्कार धाराओं पर भी लागू होगा।

संशोधन का मकसद

  • बलात्कार और यौन अपराधों में डीएनए और जैविक साक्ष्य का त्वरित संग्रह सुनिश्चित करना और
  • ऐसे जैविक साक्ष्य को नष्ट होने से बचाना
  • प्रासंगिक सबूतों के विनाश की संभावना को कम करना और
  • पीड़ित और गवाहों को डर या जबरदस्ती रोकना है।।