लखनऊ में सोमवार को नाट्य एकेडमी में उत्तर प्रदेश दिवस के उपलक्ष मे चल रहे नाट्य समारोह के सातवे दिन, घरौंदा नाटक का मंचन हुआ। ये समारोह क्षेत्रीय पर्यटन निदेशालय उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक एकेडमी, नव अंशिका फाउंडेशन और थिएटर एंड फिल्म वेलफेयर एसोसिएशन के तत्वाधान में चल रहा है।
लेखक डॉ शंकर शेष और निर्देशक मोहम्मद फु़जैल के इस नाटक में मध्यम वर्गीय युवाओं की मुश्किलों और सामाजिक सभ्यता का बेहतरीन चित्रण किया गया। इस नाटक के तीन मुख्य किरदार थे सुदीप, छाया और मदन। नाटक की कथा कुछ यूं थी कि, सुदीप और छाया मध्यम वर्गीय समाज से आते हैं और एक ही ऑफिस में काम करते हैं।
छाया और सुदीप एक दूसरे को प्रेम करने लगते हैं। एक दिन छाया सुदीप से बचत करने को कहती है ताकि वो लोग खुद का एक मकान ले सकें। लेकिन सुदीप है की मानने को तैयार नहीं। उसे लगता है की मध्यम वर्ग के लोगों के नसीब मे है ही नहीं खुद का घर लेना और सुखी जीवन बीताना।
इस दौरान उन दोनों का बॉस मदन छाया को चाहने लगता है क्योंकि छाया की शक्ल उसकी पहली पत्नी से मिलती है। फिर वो एक दिन छाया को शादी का प्रस्ताव देता है। सुदीप को जब इस बारे में पता चलता है, तो वो छाया से कहता है कि मदन से शादी कर लो। वो ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि मदन बीमार है और डॉक्टर के मुताबिक कुछ ही समय का मेहमान है।
सुदीप सोचता है कि मदन कि मौत के बाद सारी धन दौलत उसकी और छाया की हो जाएगी। फिर धीरे-धीरे छाया भी मदन को चाहने लगती है। सुदीप को ये बात कतई पसंद नहीं आती।
कुछ इस तरह थी नाटक घरौंदा की कथा। मुख्य भूमिकाओं में थे ये ऐक्टर।
मदन अमितेश कुमार सिंह
छाया अर्पिता सिंह
सुदीप आदित्य कुमार
डॉ बंसल डॉ इसरार "अयाज़"
मोहन बनवारी सैनी
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