दुनिया की सबसे महंगी हनुमान चालीसा लखनऊ में:1 CM लंबी-चौड़ी है हाथ से लिखी चालीसा, कीमत है 1 लाख रुपए

लखनऊ7 महीने पहलेलेखक: आशीष उरमलिया
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दुनिया की सबसे छोटी हाथ से लिखी हुई हनुमान चालीसा लखनऊ में है। पिछले 12 साल से इसकी देखभाल एक रिटायर्ड सिविल इंजीनियर अशोक कुमार कर रहे हैं। इसे सुरक्षित रखने के लिए सोने के कलश और चांदी के बॉक्स में रखा जाता है।

दरअसल, अशोक ने अपने घर में ही ‘द लिटिल म्यूजियम’ बनाया है। जिसमें उन्होंने विश्व की तमाम दुर्लभ चीजों को संजो कर रखा है। हमने उनके म्यूजियम पहुंचकर इस अनोखी 1 सेंटीमीटर की हनुमान चालीसा को करीब से देखा।

  • आइए, आपको भी वो हनुमान चालीसा और हनुमान से जुड़े रेयर डाक टिकट दिखाते हैं…

1 सेमी लंबी, 1 सेमी चौड़ी है हाथ से लिखी चालीसा
हनुमान भक्त अशोक कुमार ने बताया, ‘इस हनुमान चालीसा को बड़ी ही बारीकी से लिखा गया है। एक किताब के शेप में बाइंड किया गया है। इसके एक हिस्से में चौपइयों से संबंधित हनुमान के चित्र बने हुए हैं। दूसरे हिस्से में पूरी हनुमान चालीसा और हनुमानाष्टक भी लिखा हुआ है। लिखावट इतनी महीन है कि इसे पढ़ने के लिए 10X पावर वाला मैग्नीफाइंग लेंस लगता है।’

इसकी लंबाई 1 सेंटीमीटर लंबी, एक सेंटीमीटर चौड़ी और मोटाई 3 मिलीमीटर की है। अशोक कुमार ने इसे लेंस की मदद से खुद पढ़कर भी दिखाया।

फिरंगियों के हाथ में जाने से बचाई हनुमान चालीसा
UP जल निगम से रिटायर्ड इंजीनियर अशोक कुमार गुप्ता लखनऊ के गोमती नगर में रहते हैं। अशोक बताते हैं, “साल 2009 में मेरी पोस्टिंग कन्नौज में थी। तब मैंने एक न्यूज पेपर में पढ़ा कि गोरखपुर के वर्मा जी ने दुनिया की सबसे छोटी हनुमान चालीसा बनाई है और इसकी कीमत 1 लाख रुपए है। उस वक्त मैं उनसे नहीं मिल पाया था।”

UP जल निगम से रिटायर्ड सिविल इंजीनियर अशोक कुमार गुप्ता ने हाल ही में 'वर्ल्ड एट फिंगर टिप्स' नाम की किताब भी लिखी है। किताब में दुनिया भर के देशों के नोटों की शुरुआत से ले कर अब तक की तस्वीरों के साथ डीटेल्ड जानकारी है।
UP जल निगम से रिटायर्ड सिविल इंजीनियर अशोक कुमार गुप्ता ने हाल ही में 'वर्ल्ड एट फिंगर टिप्स' नाम की किताब भी लिखी है। किताब में दुनिया भर के देशों के नोटों की शुरुआत से ले कर अब तक की तस्वीरों के साथ डीटेल्ड जानकारी है।

अशोक कहते हैं, “फिर जनवरी 2010 में मैं लखनऊ की एक और प्रदर्शनी में गया। वहां के कई आर्टिस्ट से उसी चालीसा के बारे में पूछा। वहां मुझे मिस्टर वर्मा मिल गए। मैंने उनसे वो चालीसा मांगी। वर्मा ने कहा कि कई विदेशी उसे सालभर से मांग रहे हैं, लेकिन अभी तक नहीं बेची है। मैने वर्मा जी से वो चालीसा तुरंत खरीद ली ताकि वो किसी विदेशी के हाथ में ना जाए।”

  • इंजीनियर अशोक के कलेक्शन में हनुमान से जुड़ी और क्या-क्या दुर्लभ चीजें हैं? आइए देखते हैं…

70 साल पुरानी चांदी पर तराशी गई चालीसा

अशोक के 'द लिटिल म्यूजियम' में एक 70 साल पुरानी हनुमान चालीसा भी मौजूद है। इस छोटी हनुमान चालीसा को चांदी के पन्नों पर कुरेदा गया है। अशोक को ये चालीसा मुंबई में लगी एक प्रदर्शनी में मिली थी।

हनुमान पर जारी पहला डाक टिकट भी कलेक्शन में
अशोक के कलेक्शन में राम और हनुमान से जुड़े दुर्लभ डाक टिकट और सिक्के भी मौजूद हैं। उन्होंने हमें रामायण पर पहली बार 22 सितंबर 2017 में लॉन्च एक डाक टिकट दिखाए। इन टिकटों में रामायण की पूरी कथा को दर्शाया गया है। इसके साथ ही उनके पास संत तुलसीदास पर 1 अक्टूबर 1952 में लॉन्च हुआ डाक टिकट भी मौजूद है। 24 मई 1975 को रामचरित मानस पर लॉन्च हुआ डाक टिकट भी कलेक्शन में है।

अशोक के कलेक्शन में 1964 में रिलीज हुए हनुमान के पहले डाक टिकट भी हैं। इन्हें कंबोडिया की सरकार ने रिलीज किया था। इसके बाद इंडोनेशिया ने हनुमान पर डाक टिकट निकाले, बाद में भारत सरकार ने भी रिलीज किए।

जर्मनी में प्रिंट हुए सिंदूरी हनुमान के नोट
अशोक के म्यूजियम में दुनिया के कई देशों में हनुमान पर बने पहले और रेयर नोट भी मौजूद हैं। 90 के दशक में नेपाल ने 25 और 50 रुपए के नोट पर अपने देश में बने हनुमान ढोका पैलेस का चित्र छापा था। जर्मनी में प्रिंट हुए ये नोट 11 अप्रैल 1997 को जारी किए गए थे। इनमें सिंदूरी हनुमान जी का चित्र साफ दिखाई देता है। इसके साथ ही उनके कलेक्शन में 1806 से 1894 के बीच हनुमान पर रिलीज हुए सिक्के और टोकन रखे हुए हैं।

तस्वीर में आपके दाहिने तरफ सिंदूरी रंग में हनुमान जी हैं।
तस्वीर में आपके दाहिने तरफ सिंदूरी रंग में हनुमान जी हैं।

अंग्रेजों ने बाजार पोस्टकार्ड में छपवाए थे हनुमान
14 जनवरी 1906 में जब देश पर अंग्रेजों का शासन था तब अंग्रेजी सरकार ने हनुमान के चित्र वाले पोस्ट कार्ड रिलीज किए थे। इन पोस्ट कार्डों का इस्तेमाल देश के अलग-अलग हिस्सों में किया गया था। इन्हें ब्रिटिश गवर्नमेंट के स्टांप के साथ भेजा जाता था। ये सभी कार्ड भी इंजी. अशोक के कलेक्शन में मौजूद हैं।

अब… द लिटिल म्यूजियम में मौजूद हनुमान जी की 5 दुर्लभ मुर्तियों के बारे में जानते हैं…

1. थाइलैंड की वेशभूषा में हनुमान:

अशोक के पास हनुमान की एक अनोखी मूर्ति है जो थाईलैंड की स्थापत्य कला का नमूना है। हनुमान थाईलैंड की पारंपरिक वेशभूषा पहने हुए हैं।
अशोक के पास हनुमान की एक अनोखी मूर्ति है जो थाईलैंड की स्थापत्य कला का नमूना है। हनुमान थाईलैंड की पारंपरिक वेशभूषा पहने हुए हैं।

2. लकड़ी पर 2.5 सेमी के हनुमान:

ये मूर्ति लखनऊ के वुड अर्टिस्ट पृथ्वीराज कुमावत ने बनाई है। इसे लकड़ी के 2.5 सेंटीमीटर के टुकड़े पर सुई से कुरेद कर बनाया गया है। गिफ्ट मिलने के बाद अशोक ने इसे रखने के लिए इटली से चांदी का छोटा बॉक्स मंगवाया है।
ये मूर्ति लखनऊ के वुड अर्टिस्ट पृथ्वीराज कुमावत ने बनाई है। इसे लकड़ी के 2.5 सेंटीमीटर के टुकड़े पर सुई से कुरेद कर बनाया गया है। गिफ्ट मिलने के बाद अशोक ने इसे रखने के लिए इटली से चांदी का छोटा बॉक्स मंगवाया है।

3. गेहूं की बाली में हनुमान:

रीना नाम की एक आर्टिस्ट ने गेहूं की बाली को छील कर उसके छिलकों से हनुमान के बालरूप की तस्वीर बनाई है। अशोक ने इसे खरीद लिया। खासियत ये है कि ये जितनी पुरानी होगी, इसकी चमक बढ़ती जाएगी।
रीना नाम की एक आर्टिस्ट ने गेहूं की बाली को छील कर उसके छिलकों से हनुमान के बालरूप की तस्वीर बनाई है। अशोक ने इसे खरीद लिया। खासियत ये है कि ये जितनी पुरानी होगी, इसकी चमक बढ़ती जाएगी।

4. 24 कैरेट सोने के हनुमान:

अशोक के एक ज्वैलर दोस्त ने 24 कैरेट सोने से करीब सवा इंच की हनुमान मूर्ति बनाई। फिर इसे अपने दोस्त को गिफ्ट कर दी। ये मूर्ति बेहद चमकदार है।
अशोक के एक ज्वैलर दोस्त ने 24 कैरेट सोने से करीब सवा इंच की हनुमान मूर्ति बनाई। फिर इसे अपने दोस्त को गिफ्ट कर दी। ये मूर्ति बेहद चमकदार है।

5. चावल के दाने पर रंगीन हनुमान:

अशोक के पास चावल के दाने पर बने हनुमान की रंगीन मूर्ति भी है। नंगी आंखों से देखने पर सिर्फ कुछ लकीरें दिखाई देती हैं। मैग्नीफाइंग लेंस से देखने पर पूरी आकृति नजर आती है।
अशोक के पास चावल के दाने पर बने हनुमान की रंगीन मूर्ति भी है। नंगी आंखों से देखने पर सिर्फ कुछ लकीरें दिखाई देती हैं। मैग्नीफाइंग लेंस से देखने पर पूरी आकृति नजर आती है।

आखिर में हनुमान चालीसा से जुड़ी कुछ रोचक बातें जान लेते हैं…

  • हनुमान चालीसा को तुलसीदास ने लिखा है।
  • इसे संसार की सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली पुस्तक माना जाता है।
  • गीता प्रेस ने इसका सबसे पहला प्रकाशन 1955 में किया।
  • रामचरित मानस के बाद देश में सबसे ज्यादा प्रकाशित होने वाली दूसरी पुस्तक है।
  • सालभर में 25 से 30 लाख प्रतियां छपती हैं।
  • गीता प्रेस से हनुमान चालीसा का प्रकाशन 4 साइज और 10 भाषाओं में होता है।
  • भाषाओं में हिंदी, अंग्रेजी, उड़िया, गुजराती, तेलुगू, बांग्ला, कन्नड़, असमिया, तमिल और नेपाली शामिल हैं।