बिजली विभाग के इंजीनियर और चेयरमैन के बीच लड़ाई का नया मोड़ सामने आ गया है। अब इसमें केंद्रीय संगठन कूद पड़े है। इसमें ऊर्जा निगमों के निदेशक पद को हथियार बनाया गया है। मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिया गया है।
दरअसल, विभाग में 14 डायरेक्टर के नियुक्ती होने वाली थी। इसके लिए कई लोगों का चयन किया गया था। अब इंटरव्यू की प्रक्रियां होना था लेकिन तभी पता चला कि इसमें भ्रष्टाचार हुआ है। उसके बाद ऊर्जा मंत्री ने इन पदों की भर्ती को रद्द करने का आदेश दे दिया। इसमें सीएम ने भी नाराजगी जाहिर की थी। ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने सीएम से मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। आरोप है कि इसमें एम देवराज की जिम्मेदारी थी, उसके बाद भी गलत हुआ है। ऐसे में उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि बताया कि उप्र ऊर्जा निगमों के 14 निदेशकों के चयन के लिए जो शॉर्ट लिस्टिंग की गई है, उसमें बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई है। मानकों के विपरीत कई योग्य अभ्यर्थियों को अनावश्यक रूप से चार्जशीट देकर लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। उसके बाद कई अयोग्य अभ्यर्थियों पर आरोप होते हुए भी आरोप मुक्त कर चयन सूची में डाल दिया गया।
ऊर्जा निगमों की छवि खराब हुई है
उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति की परवाह न करके एम देवराज द्वारा किया गया यह कृत्य अत्यन्त गंभीर मामला है। इससे उप्र ऊर्जा निगमों की छवि धूमिल हुई ही है, प्रदेश सरकार की छवि पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। शॉर्ट लिस्टिंग एवं चयन में हुए घोटाले से बनी सूची को निरस्त करने के लिए मुख्यमंत्री के फैसले का स्वागत करते हुए फेडरेशन ने सारे मामले के दोषी अधिकारी एम देवराज पर सख्त कार्यवाही किए जाने की मांग की है।
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