हॉल मॉर्क की अनिवार्यता के बाद लखनऊ के सराफा कारोबारियों में परेशानी बढ़ गई है। शहर में सराफा की छोटी बड़ी मिलाकर करीब 2500 से ज्यादा दुकानें है, लेकिन सोने की गुणवत्ता जांचने वाला हॉल मार्क सेंटर महज 12 हैं। ऐसे में कारोबारियों के साथ-साथ ग्राहकों की परेशानी बढ़नी तय हो गई है। पिछले दिनों आदेश आया था कि 16 जून से बाजार में केवल हॉल मार्किंग गहने बाजार में बिकेंगे।
हालांकि इसकी छूट सितंबर तक कर दी गई है। लेकिन उसके बाद भी हॉल मार्क सेंटर की कमी से परेशानी बरकरार है। लखनऊ में प्रतिदिन गहने और बुलियन (ठोस सोना) को मिलाकर करीब 300 करोड़ रुपए का काम होता है। इसमें से गहने का 70 फीसदी काम बिना हॉल मार्क के होता है।
चौक सराफा कारोबारी विनोद माहेश्वरी बताते हैं कि शहर में अभी 500 के कुछ ज्यादा कारोबारियों ने ही अपने आप को अभी इस व्यवस्था से जोड़ा है। बाकी छोटे कारोबारी भी इससे दूर है। ऐसे में उनकी समस्याएं बढ़ी हैं। पिछले दिनों इस समस्या को लेकर कारोबारियों ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मुलाकात की थी। इंडियन बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन के उमेश पाटिल कहते हैं कि यह बात भारतीय मानक ब्यूरो भी जनता है कि हॉल मार्किंग सेंटर मांग से बहुत कम है। उन्होंने बताया कि बीआईएस कुछ सब्सिडी के साथ मदद भी कर रही है। लेकिन इस व्यवस्था में कुछ खामी होने के कारण यह पटरी पर नहीं आ पा रही है।
एक लाख कस्टमर प्रतिदिन आते हैं
आम दिनों में 2500 दुकानों को मिलाकर प्रतिदिन एक लाख से ज्यादा कस्टमर बाजार में आते है। अब कारोबारियों के लिए मुसिबत यह है कि वह इन सभी कस्टमर के लिए हॉल मार्किंग महज 12 सेंटर से कैसे मुहैया कराए। मानक ब्यूरों ने जल्द सेंटर बढ़ाने का आश्ववासन दिया है, लेकिन दिक्कत यह है कि कारोबारियों को वहां से भी कोई तारीख नहीं बताई जा रही है।
व्यवस्था बढ़ाने की मांग
इंडियन बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग रस्तोगी ने हॉल मार्किंग सेंटर बढ़ाने की मांग की है। दरअसल, लखनऊ शहर में प्रतिदिन करीब 300 किलो सोने का कारोबार होता है। यहां कई कारोबारियों के पास बैंक से सोना लेने लाइसेंस है। लखनऊ चौक हल्के गहने तैयार करने के लिए जाना जाता है। इसमें हॉल मार्किंग नहीं होती है। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या छोटे और कम तोल वाले गहने बनाने वालों के लिए है।
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