भास्कर एक्सक्लूसिवलखनऊ में पुलिस चौकी के बगल में ठगी का बिजनेस:100 रुपए की अगरबत्ती से 800 जिताने का दावा, बेल्ट-पर्स बेचने वाला मास्टर माइंड

4 महीने पहलेलेखक: राजेश साहू
  • कॉपी लिंक

"100 रुपए दो और ये अगरबत्ती का पैकेट पकड़ो। इसमें एक कूपन है। उसे खोलो और जितना पैसा लिखा होगा उसका दोगुना मिलेगा। आस-पास के दो लोगों ने खोला। दोनों के कूपन में 400-400 लिखा था। दुकान पर बैठे लड़के ने दोनों को 800-800 दे दिया। मैंने भी कूपन लिया। मेरे में 5 रुपए निकला। दूसरा कूपन लिया उसमें भी 5 रुपए निकला। लड़के ने दोनों बार 10-10 रुपए देकर चले जाने को कहा।"

ठगी का ये धंधा कहीं और नहीं, बल्कि लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर हो रहा है। भास्कर को जानकारी मिली तो इसका स्टिंग किया। जो खुलासे हुए वो हैरान करते हैं। स्टिंग कैसे हुई? इन्हें पकड़कर पुलिस तक कैसे पहुंचाया गया? पुलिस ने क्या कहा? आइए सब कुछ सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं...

पुलिस से महज 20 मीटर दूर ठगी का ठेला

चारबाग में 400 मीटर के अंदर रेलवे स्टेशन, बस अड्डा और मेट्रो स्टेशन है। इसलिए यहां हमेशा भीड़ रहती है। नए लोगों के लखनऊ आने की संख्या यहां सबसे ज्यादा होती है। ऐसे में ठगों के लिए ठगी करने का सबसे बढ़िया स्थान यही है। रेलवे स्टेशन की बड़ी लाइन से निकलने पर आपको राइट साइड चारबाग नाका पुलिस चौकी दिखेगी। उसी से मात्र 20 मीटर दूर ठेले पर एक दुकान नजर आती है। उस पर लाउड स्पीकर, बुफर और ब्लूटूथ रखे गए हैं, लेकिन ये बेचने के लिए नहीं हैं, बल्कि सिर्फ दिखाने के लिए हैं।

हमें इनपुट मिला था कि इस दुकान पर लॉटरी के नाम पर ठगी होती है। इसलिए हम सुबह 8 बजे पहुंच गए। खुद को और ड्रेस को ऐसा रखा कि उन्हें लगे हम गांव से आए हैं। हाथ में झोला ले लिया। एक साथी कैमरे के साथ फुट ब्रिज पर तैनात कर दिया। दूसरा साथी मेरे ही पीछे अजनबी बनकर कैमरा चला रहा था। हम दुकान के सामने पहुंचे।

अगरबत्ती के डिब्बों में ठगी का सामान
दुकान पर बैठा करीब 20 साल का लड़का कहता है, "चलो इधर से आगे बढ़ो।” हमने कहा, “स्पीकर लेना है।" उसने कहा, "यहां कोई स्पीकर नहीं मिलता। जाओ आगे लो।" हम खड़े होकर देखने लगे। तभी मेरे पीछे उन्हीं ठगों के ग्रुप का एक व्यक्ति आया और 100 रुपए देते हुए कहा, एक कूपन दो। उसने गुलाब सेंट बत्ती नाम की अगरबत्ती का एक पैकेट दिया।

जिसमें पीले रंग का एक कूपन था। उसने पन्नी फाड़कर कूपन निकाला। उसमें 400 रुपए लिखे थे। दुकान पर बैठे लड़के ने कूपन लिया और उस व्यक्ति को 400 का दोगुना 800 रुपए दिया। वो व्यक्ति चला गया।

पीले शर्ट में दिख रहा लड़का ठगों के ग्रुप से है। उसके कूपन में 400 रुपए निकला।
पीले शर्ट में दिख रहा लड़का ठगों के ग्रुप से है। उसके कूपन में 400 रुपए निकला।

हर 100 रुपए पर 800 रुपए कमाने का दावा
हमने लड़के से कहा, "क्या मेरा भी ऐसे ही 400 रुपए निकल सकता है?" उसका जवाब था सबका निकल रहा है, "तुम्हारा भी निकलेगा।" पास खड़ा ठग एक्टिव हो गया। वो आकर मुझे बताने लगा कि कल मैने 2 हजार, परसों 1 हजार रुपए जीता था। इसके बाद उसने मेरे ही सामने एक कूपन लिया। उसका 400 रुपए निकला और 800 रुपए लेकर वह चला गया।

हमने 100 रुपए देकर गुलाब नाम की अगरबत्ती का पैकेट लिया, जिसमें इनामी कूपन था। पैकेट फाड़ा तो उसमें जो कूपन निकला उसमें 5 रुपया लिखा था। लड़के ने मुझे 10 रुपए थमा दिया। हमने दोबारा 100 रुपए देते हुए एक और कूपन लिया।

फिर से फाड़ा लेकिन उसमें भी सिर्फ 5 रुपए ही निकला और उसने मुझे 10 रुपए थमा दिया। इसके बाद पास खड़े एक लड़के ने कहा, “आज तुम्हारा दिन नहीं है। अब बस करो और यहां से जाओ।” मैं वहीं खड़ा रहा। बगल बेल्ट की दुकान पर खड़ा व्यक्ति मेरे पास आया और कहा, “चलो निकलो यहां से। तुम्हारा हो गया।”

इस ठगी में कुल 10 से 12 लोग शामिल हैं। इसमें 4 ग्राहक बनकर दुकान के आसपास खड़े रहते हैं। बाकी के लोग स्टेशन-बस अड्डे पर ग्राहक खोजते हैं। जैसे ही ग्राहक दुकान पर आता है ग्रुप के लोग सक्रिय हो जाते हैं।

ठगी के धंधे से अंजान बगल की चौकी
हमारे साथ ठगी हुई तो हम महज 20 मीटर दूर मौजूद नाका पुलिस चौकी पहुंचे। वहां एक पीआरडी के सिपाही मिले। हमने चौकी प्रभारी के बारे में पूछा तो जवाब मिला, अमरजीत चौरसिया आते ही होंगे। हमने चौकी प्रभारी को फोन किया और ठगी के बारे में बताया।

वह 15 मिनट के अंदर थाने से चौकी पर आ गए। चौकी पर ही मौजूद सिपाही मनीष को लेकर हम दुकान पर पहुंचे। वहां से ग्राहक बने बाकी के ठग फरार हो चुके थे। पुलिस ने लड़के को पकड़ा और चौकी के अंदर लेकर आई। साथ में दुकान पर रखे 53 कूपन भी जब्त कर लिया।

पुलिस ने कूपन के 53 पैकेट जब्त किए। सभी में कूपन सिर्फ 5 रुपए वाला था।
पुलिस ने कूपन के 53 पैकेट जब्त किए। सभी में कूपन सिर्फ 5 रुपए वाला था।

लड़के की तलाशी ली गई। उसने अपना नाम शाहिल और पता शाहजहांपुर के कटरा का बताया। पुलिस के सामने उसने कहा कि ये सब मैने खुद से नहीं शुरू किया। बल्कि मुझे 300 रुपए दिहाड़ी मिलती है। इसके बाद बेल्ट और पर्स की दुकान चलाने वाले शेरू नाम के व्यक्ति को पुलिस ने बुलाया। यह व्यक्ति इस पूरे ठगी का मास्टर माइंड है। पहले तो बत्तमीजी से बात किया, लेकिन जब उसे पता चला कि हम लोग भास्कर के पत्रकार हैं, तब उसका रूप बदल गया। पुलिस ने शाहिल को नाका थाना भेज दिया।

चौकी प्रभारी अमरदीप चौरसिया ने कहा, "हम क्राइम के खिलाफ हैं। 20 दिन पहले ही हमारी पोस्टिंग ट्रांसपोर्ट नगर से इधर हुई है। हमें इस ठगी के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी। अब यह धंधा यहां नहीं होने देंगे। आरोपियों पर केस दर्ज करके कार्रवाई करेंगे।"

फिलहाल ठगी का यह खेल पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़ा करता है। क्योंकि ठगी का स्थान और पुलिस चौकी में महज 20 मीटर की दूरी है। हमें ठगी के बारे में जो इनपुट मिले थे, उसमें भी इस बात का जिक्र था कि ठग पुलिस को महीने का पैसा देते थे और खुद रोज का 10 से 12 हजार रुपए कमाते हैं।

ये तो था ठगी का इंवेस्टिगेशन। हमने दो महीने पहले उसी चारबाग के मेट्रो स्टेशन से सेक्स वर्कर्स पर इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट की थी। यहां पढ़ सकते हैं।

लखनऊ में खुलेआम लग रही जिस्म की बोली:लड़कियां ग्राहक खोजती हैं, दलाल सुरक्षा देते हैं

सुबह 10:30 बजे। चारबाग मेट्रो के नीचे तीन लड़कियां मुंह बांधकर खड़ी हैं। आने-जाने वाले व्यक्ति को रोकती हैं और पूछती हैं, "होटल चलोगे?" ज्यादातर लोग इग्नोर करके आगे बढ़ जाते हैं। लेकिन कुछ रुक जाते हैं। रेट की बात करने लगते हैं। रेट तय होते ही वह लड़की के पीछे-पीछे चलने लगते हैं। पूरी कहानी के लिए क्लिक करें...

ग्राउंड रिपोर्ट 2ः परिवार नहीं जानता कि मैं एक वैश्या हूं:सेक्स वर्कर्स के पिता ही उनके बेटे के पिता हैं

वाराणसी का शिवदासपुर...आप किसी से यहां का पता पूछेंगे तो वह बताने से पहले घूरेगा। पता बताने से पहले पूछेगा "क्या काम है?" ऐसा इसलिए क्योंकि शिवदासपुर यूपी का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया है। 24 हजार आबादी वाले इस गांव में 35 ऐसे घर हैं, जिसके सामने लड़कियां और महिलाएं तैयार खड़ी दिखती हैं। उन्हें बुलाने के लिए कोई युवा आए या 65 साल का बुजुर्ग, सबकी चाहत 16 साल की लड़की ही होती है। पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें...

ग्राउंड रिपोर्ट 3ः मेरा शरीर मर्दों जैसा लेकिन अंदर से मैं लड़की हूं:

73 साल की किन्नर हेमा अब कहीं आती जाती नहीं। किसी से ज्यादा बात भी नहीं करतीं। चेलों के सहारे उनका जीवन चल रहा। 61 साल पहले घर से 10 रुपए चुराकर भागी थीं। इसके बाद उनके सामने ट्रेन, सिग्नल और बाजार में भीख मांगने जैसे ऑप्शंस रखे गए। नरक से निकलना चाहा लेकिन कभी घर नहीं लौट पाईं। पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें...

खबरें और भी हैं...