लखीमपुर कांड को हत्या की एक सोची समझी साजिश बताते हुए एसआईटी ने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा समेत 14 लोगों पर प्लानिंग के तहत हत्या, हत्या के प्रयास समेत कई गंभीर धाराओं की बढ़ोत्तरी कर दी है। बेटे को और मुश्किल में फसता देख मंगलवार सुबह ही गृहराज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी जिला जेल बेटे से मिलाई करने पहुंच गए। लखीमपुर कांट के आरोपियों को इन धाराओं में उम्रकैद से लेकर बीस साल तक की सजा हो सकती है। एसआईटी ने सभी आरोपियों पर जानबूझकर प्लानिंग करके घटना को अंजाम देने की बात कही है। एसआईटी के मुख्य विवेचक ने IPC की धाराओं 279, 338, 304 A को हटाकर 307, 326, 302, 34,120 बी,147, 148,149, 3/25/30 धाराओं में चार्टशीट लगा दी है।
307 धारा ने केस को किया मजबूत, अब जमानत में भी होगी मुश्किल
लखनऊ हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता केके मिश्र ने बताया कि एसआईटी की विवेचना के बाद बढ़ी धारा 307 ( हत्या के प्रयास) से साफ है कि इन लोगों ने जानबूझकर एक प्लान के तहत भीड़ पर गाड़ी को चढा दिया। इसके चलते लापरवाही से गाड़ी चलाने और चोट पहुंचाने की धारा (279 व 338) और गैर इरादतन हत्या (302-ए) को हटा दिया गया है। इसके स्थान पर लगी आईपीसी 307 धारा समेत अन्य धाराएं लगने से आरोपियों की मुश्किल बढ़ गई है। इन धाराओं में कोर्ट में ट्रायल चलने पर इन्हें उम्रकैद से लेकर बीस साल तक की सजा हो सकती है। क्योंकि पहले की धाराओं में दुर्घटना के चलते पूरी घटना होना बताया जा रहा था, लेकिन अब एक सुनियोजित घटना को बताया जा रहा है। जिसमें किसी संदेह का फायदा आसानी से आरोपी पक्ष नहीं उठा सकता और कठोर सजा का प्रावधान है। इन धारा की बढ़ोत्तरी से जमानत मिलने भी दिक्कत आएगी।
एसआईटी के विवेचक ने माना सुनियोजित थी घटना - विद्याराम दिवाकर
एसआईटी के मुख्य विवेचक विद्याराम दिवाकर ने कोर्ट में लखीमपुर कांड में गिरफ्तार मंत्री पुत्र समेत सभी 14 आरोपियों के खिलाफ धाराओं को बढ़ाते हुए प्रार्थाना पत्र दाखिल कर दिया है। उनके मुताबिक तीन अक्टूबर 2021 को दर्ज मुकदमा संख्या 219/21 धारा 147, 148, 149,279,338,304, 302,120बी धारा में आशीष मिश्रा, लवकुश, आशीष, शेखर भारती, अंकित दास, लतीफ उर्फ काले, शिशुपाल, नन्दन सिंह विष्ट, सत्यम त्रिपाठी उर्फ सत्यप्रकाश त्रिपाठी, सुमित जायसवाल, धर्मेन्द्र बंजारा, रिंकू राना, उल्लास कुमार त्रिवेदी उर्फ मोहित त्रिवेदी के खिलाफ दर्ज है। यह सभी जेल में हैं। जांच में सामने आया कि यह घटना आरोपियों द्वारा लापरवाही और उपेक्षा से नहीं बल्कि जानबूझकर पूर्व से सुनियोजित योजना के अनुसार जान से मारने के नियत से किया है। इसके चलते इस प्रकरण में धारा 279,338,304ए का होना नहीं पाया गया। जबकि धारा 307, 326.34 भादवि व धारा 3/25/30 शस्त्र अधिनियम का भी अपराध होना पाया गया। इसलिए धारा 279,338,304ए को हटाते हुए अन्य धाराओं के साथ धारा 307,326.34 आईपीसी व 3/25/30 की बढ़ोत्तरी की गयी। इसके चलते सभी आरोपियों को आज कोर्ट में पेश किया गया।
इन धाराओं में यह है सजा
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.