केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को आज लखनऊ जेल से रिहा कर दिया गया। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 23 दिसंबर को ED के मनी लांड्रिंग केस में कप्पन को जमानत दी थी। कप्पन 28 महीने जेल में बंद रहे। बाहर निकलते ही उन्होंने विक्ट्री का साइन दिखाया और परिजनों से मिले। कप्पन और तीन अन्य को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था, जब वे हाथरस जा रहे थे, जहां एक 20 साल की दलित लड़की की कथित रूप से रेप के बाद मौत हो गई थी।
जेल से रिहा होने के बाद सिद्दीकी कप्पन ने कहा, "प्रेस क्लब आफ इंडिया दिल्ली में है, केरला यूनियन वर्किंग जर्नलिस्ट, अगर सरकार के खिलाफ है या सरकार को पसंद नहीं है तो वह खालिस्तानी होगा। वह टेररिस्ट होगा। मैं कठोर कानूनों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगा।"
"जमानत मिलने के बाद भी मुझे जेल में रखा गया। मुझे नहीं पता कि मेरे जेल में रहने से किसे फायदा हो रहा था। ये दो साल बहुत कठिन थे। लेकिन, मैं कभी डरा नहीं। अभी 6 सप्ताह तक दिल्ली में रहेंगे। इसके बाद केरल जाएंगे।"
9 जनवरी को जमानत के लिए दाखिल की गई थी याचिका
कप्पन को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से सशर्त जमानत मंजूर की गई थी। इसके बाद ED के विशेष न्यायाधीश संजय शंकर पांडे ने कप्पन को एक-एक लाख रुपए की दो जमानत और इसी धनराशि का मुचलका दाखिल करने के बाद जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।
इस आदेश के बाद कप्पन की ओर से बीते 9 जनवरी को जमानत अदालत में दाखिल की गई थी। जिसके बाद अदालत ने जमानतदारों की हैसियत का सत्यापन कराए जाने का आदेश दिया था। बुधवार को जमानतदारों एवं उनके द्वारा दाखिल दस्तावेजों का सत्यापन होने के बाद कप्पन को रिहा करने का आदेश जिला जेल भेज दिया था। चर्चित हाथरस कांड के दौरान गिरफ्तार किए गए कप्पन को हवाला से धन लेकर देश विरोधी कामों में प्रयोग करने समेत तमाम आरोपों को लेकर ED ने उसके खिलाफ कार्रवाई की थी।
हाथरस कांड में गिरफ्तार हुए थे सिद्दीकी कप्पन
यूपी पुलिस ने 8 अक्टूबर‚ 2020 को मसूद अहमद‚ सिद्दीकी कप्पन‚ अतिकुर्रहमान और मोहम्मद आलम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बताया था कि वह साम्प्रदयिक सौहार्द बिगड़ने‚ साम्प्रदायिक दंगे भड़काने और आतंक फैलाने हाथरस जा रहे थे। कप्पन PFI के मुखपत्र तेजस डेली में कार्य करता था और पीएफआई का सक्रिय सदस्य है‚ साथ ही कप्पन को 2014 में दिल्ली में दंगे करने के लिए नियुक्ति किया गया था।
आरोप है कि जांच में पता चला कि PFI के सदस्य केए रऊफ व अन्य PFI सदस्यों को एक षड्यंत्र के तहत विदेश से एक करोड़ 38 लाख रुपए दिए गए तथा रउफ‚ सईद और अन्य सदस्यों ने हाथरस जाकर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने‚ दंगे कराने और आतंक फैलाने का साजिश रचा था।
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जर्नलिस्ट कप्पन को बेल मिली, रिहाई नहीं
'अब तक UP सरकार ने कुछ भी ऐसा नहीं दिखाया, जो भड़काऊ था। जिन पैम्फलेट्स का जिक्र किया गया, उनमें हाथरस गैंगरेप पीड़िता के लिए न्याय की बात की गई है। उसके लिए लड़ना अपराध नहीं हो सकता।'
इस कमेंट के साथ सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को जर्नलिस्ट सिद्दीक कप्पन को जमानत दे दी थी। कप्पन 5 अक्टूबर 2020 से जेल में हैं। उन पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से कनेक्शन, दंगा भड़काने, मनी लॉन्ड्रिंग और गैरकानूनी तरीके से पैसा जमा करने के आरोप हैं। (पूरी खबर पढ़ें)
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