यूपी में कांग्रेस के स्टार प्रचारक बनाए जाने के बाद 25 जनवरी को आरपीएन सिंह भाजपा में शामिल हो गए। सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर उन्हें लाया कौन? दरअसल, आरपीएन की भाजपा में शामिल होने की स्क्रिप्ट 2 महीने पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लिखी थी। सिंधिया पिछले दो महीनों से आरपीएन से लगातार कॉन्टैक्ट में थे।
बताते हैं कि झारखंड का प्रभारी बनाए जाने के बाद ही उनका भाजपा में आना तय हो चुका था, सिर्फ जॉइनिंग के लिए सही समय का इंतजार हो रहा था। यह सही वक्त तब आया, जब भाजपा के पूर्वांचल के चेहरे स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा छोड़ी। आरपीएन सिंह जब भाजपा में शामिल हुए, तब सिंधिया भी वहीं थे। उन्होंने गुलदस्ता देकर आरपीएन सिंह का वेलकम भी किया था।
अमित शाह ने स्वामी प्रसाद मौर्य को किया था फोन
स्वामी प्रसाद मौर्य अगर भाजपा छोड़ सपा में नहीं जाते और अमित शाह का फोन उठा लेते तो शायद आरपीएन सिंह भी अभी भाजपा में शामिल नहीं होते। भाजपा सूत्रों के मुताबिक 12 जनवरी को जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया, तब अमित शाह ने उनसे बात करने के लिए तीन बार फोन लगाया था, लेकिन मौर्य ने फोन नहीं उठाया।
बस इसी बात से अमित शाह चिढ़ गए और आरपीएन सिंह को भाजपा में लाने की पहले से तैयार स्क्रिप्ट को धरातल पर उतारने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को इशारा कर दिया। इसके बाद ही 25 जनवरी का दिन आरपीएन सिंह की भाजपा में जॉइनिंग के लिए तय हुआ।
पहले से थी आरपीएन-ज्योतिरादित्य की दोस्ती
सिधिंया जब कांग्रेस में थे, तभी से आरपीएन सिंह से उनकी मित्रता जगजाहिर रही है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराकर भाजपा की सरकार बनाने में ज्योदिरादित्य सिंधिया मुख्य भूमिका में थे। फिर भाजपा ने उन्हें राज्यसभा के रास्ते केंद्रीय मंत्री भी बना दिया। तभी से माना जा रहा था कि आरपीएन सिंह भी भाजपा में शामिल हो जाएंगे।
फिर जब कांग्रेस ने आरपीएन को झारखंड में सरकार बनवाने की जिम्मेदारी दी तो ज्योतिरादित्य ने उन्हें भी भाजपा में लाने की कवायद शुरू कर दी। भाजपा के सूत्रों के मुताबिक, ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले दो महीनों से आरपीएन सिंह के कॉन्टैक्ट में थे। उन्होंने अमित शाह और जेपी नड्डा को पहले ही बता दिया था कि आरपीएन सिंह मान गए हैं।
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