लखनऊ के हजरतगंज में अलाया अपार्टमेंट हादसे में गंभीर रूप से घायल 2 महिलाओं की मौत से सिविल अस्पताल में कोहराम मच गया। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मलबे में दबी सास और बहू की मौत से परिजन आपा खो बैठे।
इस बीच पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के शव देने पर आनाकानी करने से माहौल और बिगड़ गया। मृतक परिजनों की मौके पर रहे पुलिस और प्रशासनिक अफसरों से नोकझोंक के साथ धक्का मुक्की भी होने लगी। इस बीच गुस्साए परिजनों ने प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी करने का भी आरोप लगाया। बाद में परिजन शव लेकर चले गए।
कांग्रेसी नेता के परिवार की 2 महिलाओं की मौत
बुधवार सुबह करीब 10:20 पर मलबे में दबी 72 साल की महिला बेगम हैदर को लाया गया। सिविल अस्पताल में लाई गई बुजुर्ग महिला के सीने और सिर में गंभीर चोटें आई थी। डॉक्टर इलाज शुरु करते इससे पहले महिला की मौत हो गई। बुजुर्ग महिला कांग्रेसी नेता जीशान हैदर में मां थी। थोड़ी देर बाद 12:24 पर दूसरी एम्बुलेंस में उजमा हैदर को लाया गया।
महज 10 मिनट के भीतर डॉक्टरों ने उनकी मौत की भी पुष्टि कर दी। मृतक बुजुर्ग महिला के शव को बाहर पोस्टमार्टम कराने की बात कह कर शव देने से इनकार करने इसको लेकर परिजनों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच काफी नोंकझोंक हुई।
परिजनों ने रेस्क्यू ऑपेरशन की गिनाई कमियां
हादसे में जान गवांने वाली बेगर हैदर कांग्रेस नेता जीशान हैदर की मां और उजमा बेगम उनकी भाभी थी। उजमा जीशान के सपा नेता भाई अब्बास हैदर की पत्नी थी। एक ही परिवार में दो लोगों की मौत से परिजनों की चीख पुकार से सिविल अस्पताल में कोहराम मच गया।
शव का पोस्टमार्टम न कराने बात कह कर परिजन शव सीधे घर ले जाना चाह रहे थे। जबकि प्रशासनिक अधिकारी बेगम हैदर और उजमा हैदर का पोस्टमार्टम कराने की बात कह रहा था। हालांकि काफी देर तक हुई नोकझोंक के बाद परिजन शव लेकर चले गए।
मीडिया के सामने पर उभरा दर्द
अब्बास हैदर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि बिल्डर के ऊपर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इसमें पूरी जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार की लापरवाही के कारण मेरे परिवार में दो सदस्य (मां-पत्नी) की मौत हो गई है। साथ ही दो सदस्य (पिता-बेटा) अस्पताल में भर्ती हैं। पति उजमा हैदर के माथे पर जो चोट के निशान हैं।
वह निशान सुरक्षाकर्मियों के रेस्क्यू अभियान से पहुंचा है, क्योंकि उन्होंने सावधानी से मलबा नहीं निकाला। अगर सावधानी से मलबा निकालते तो पत्नी के सिर पर चोट नहीं आती। 15 घंटे के बाद पत्नी उजमा को मलबे से बरामद किया गया। यही काम पहले हुआ होता तो मेरी पत्नी जिंदा होती।
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