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सही तकनीक से बच सकती थी दो जानें:लखनऊ में परिजनों का आरोप- इंजरी नहीं दम घुटने से हुई मौत, ऑक्सीजन समय पर नहीं पहुंचा

लखनऊ2 महीने पहले
लखनऊ के सिविल अस्पताल के बाहर रोते बिलखते मृतकों के परिजन।

अलाया अपार्टमेंट हादसा लखनऊ के हैदर परिवार को जीवनभर न भूलने वाला गम दे गया। परिवार के 2 महिला सदस्यों की जान चली जाने के बाद परिजनों ने अफसरों पर कई गंभीर आरोप लगाए। दावा किया गया कि सुबह तक मलबे में दबी महिलाओं से बात हुई बावजूद इसके रेस्क्यू में देरी और लापरवाही से दोनों ही जाने गई।

दर्दनाक घटना में मां और पत्नी दोनों को खोने वाले सपा प्रवक्ता अब्बास हैदर ने एक्सपर्ट्स का आभाव और टेक्नोलॉजी विहीन रेस्क्यू किए जाने की बात कही। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके बताने के बाद सही जगह पर ड्रिलिंग नही की गई और यही कारण रहा कि मलबे में देर तक उनकी मां और पत्नी दबी रही।

सही जगह नही पहुंचाई गई ऑक्सीजन

सिविल अस्पताल के बाहर परिवार के 2 सदस्यों की मौत की खबर से हैदर परिवार बदहवास हो गया। रिश्तेदार और परिवार के दोस्त भी खबर सुनकर सिविल अस्पताल भागे दौड़ें पहुंचे। इस बीच अब्बास हैदर ने मीडिया के सामने रेस्क्यू ऑपेरशन पर सवाल उठाते हुए कहां कि दोनों ही लोगों की जान इंजुरी से नही दम घुटने से हुई हैं। बिल्डिंग ढहने के 20 घंटे बाद उन्हें बाहर निकाला गया और दबे लोगों तक ऑक्सीजन पहुचाने में भी रेस्क्यू टीम सफल नही हुई।

फोटो खीचवाने और PR के लिए वहां पहुंचे थे लोग

परिवार के एक अन्य सदस्य ने बताया कि 11 बजे तक उनकी उजमा हैदर से बात हुई। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हैं। पर शुरू से ही जिस जगह पर ड्रिल करने को कहां जा रहा था वहां ड्रिलिंग नही की गई। रेस्क्यू टीम के पास प्रॉपर सक्शन इक्विपमेंट नही थे। वहां पर मौजूद प्रशासनिक अफसर भी सिर्फ दिखावे के लिए ही मौजूदगी दर्ज करा रहे थे।

मृतका बेगम अमीर हैदर के बड़े बेटे जीशान हैदर ने आरोप लगाया कि अफसरों की लापरवाही से मां और छोटे भाई की पत्नी की मौत हो गई। प्रशासन के रेस्क्यू में बहुत समय लग गया। मेरे बताने के बावजूद जहां फ्लैट था वहां ड्रिल नहीं किया गया। जीशान ने बताया कि मैं रात भर कहता रहा कि यहां का मलबा पहले हटाएं लेकिन किसी ने नहीं सुना। यही कारण रहा कि परिवार में आज मातम पसरा हैं।

मां की मौत के बाद बदहवास अवस्था में जीशान हैदर (सबसे पीछे)
मां की मौत के बाद बदहवास अवस्था में जीशान हैदर (सबसे पीछे)

SDRF ने तकनीक के इस्तेमाल का जमकर किया बखान

वही दूसरी तरफ SDRF के सेनानायक डॉ. सतीश कुमार के अनुसार कठिन हालात में भी टीम ने बेहतरीन काम किया हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान विक्टिम लोकेशन कैमरा काफी मददगार साबित हुआ। इससे हालात समझने में आसानी हुई और पता चल गया कि कितने लोग भीतर किस हालत में हैं। चिपिंग हैमर से एक छोटे हिस्से की दीवार काटी जाती है। इस घटना में भी यही किया गया। अत्याधुनिक उपकरणों के साथ बुधवार की शाम तक SDRF के 252 जवान मौके पर रेस्क्यू करते रहें।

हंगामे के बाद परिजनों को बिना पोस्टमार्टम सौंपे शव

सिविल अस्पताल में काफी देर चले हंगामे के बाद परिजनों ने शव का पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया। जबकि पुलिस ने शव पोस्टमार्टम कराने पर अड़ी रही।इस दौरान दोनों तरफ नोकझोंक के साथ धक्का मुक्की भी हुई। बाद में परिजनों की सहमति और लिखित देने पर पुलिस ने दोनों शव घरवालों को सौंप दिये।