लखनऊ में प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ की रविवार को केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में डॉक्टरों ने लंबित मांगों को लेकर नाराजगी जतायी। शासन की डॉक्टरों और चिकित्सीय सेवाओं के प्रति लचर रवैया से चिकित्सक आक्रोशित दिखें।
इस दौरान डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि यदि समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो संघ आंदोलन को बाध्य होगा।
आरपार की लड़ाई की उठी मांग
संघ के अध्यक्ष डॉ. सचिन वैश्य की अध्यक्षता में हुई बैठक में 50 शाखा प्रतिनिधियों के अलावा भारी संख्या में डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। संघ के महासचिव डॉ. अमित सिंह ने बताया कि प्रदेश में हजारों डॉक्टर नई सेवा नियमावली में संशोधन न होने के कारण प्रोन्नति से वंचित हैं।
चिकित्सकों को मिलने वाला विशिष्ट वित्तीय स्तरोन्नयन भी वर्ष 2019 से लंबित है। जबकि नियमावली में प्रोन्नतियां एवं एसीपी प्रत्येक छह माह पर दिए जाने का प्राविध है। विभाग में निदेशक, अपर निदेशक एवं संयुक्त निदेशक के खाली पड़े हैं। डॉक्टरों का उत्पीड़न किया जा रहा है। शासन ने डॉक्टरों के मुद्दों पर जल्द फैसला नहीं लिया तो संघ प्रदेश में आंदोलन करेगा।
भर्ती में मिले वरीयता
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत कोरोना काल के दौरान अल्पकालिक आउटसोर्स के सभी संवर्ग के कर्मचारियों भर्तियों में अधिमान अंक प्रदान किया जाए। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम कर्मचारी संघ उप्र. के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. आनंद प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, अपर मुख्य सचिव व मिशन निदेशक से मांग की है कि कोरोना के दौरान काम करने वाले एनएचएच कर्मियों को घोषित भत्ता अब तक नहीं मिला है। इन कर्मचारियों को भत्ता दिया जाए। एनएचएम के तहत पूर्व से कार्यरत कर्मियों में डॉक्टर, पैरामेडिकल, स्टाफ नर्स, एएनएम, ऑप्ट्रोमेट्रिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, लैब टेक्नीशियन, प्रबंधन व कम्युनिटी हेल्थ वर्कर्स को यह लाभ जाए।
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