लखीमपुर तिकुनिया में हुई हिंसा मामले में एसआईटी को चश्मदीद गवाहों की तलाश है। इसके लिए वह मौके पर मौजूद लोगों से लेकर पीड़ित पक्ष और आशीष मिश्रा के सुरक्षा कर्मियों तक को गवाह बनाने को तैयार है, लेकिन कोई तैयार नहीं है। यहां तक पीड़ित पक्ष की तरफ से मुकदमा दर्ज कराने वालों से लेकर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के लड़के आशीष मिश्र के साथ मौजूद भाजपा नेता सुमित जायसवाल भी सामने नहीं आ रहे हैं। जो घटना के वक्त थार जीप में बैठा था और भीड़ के हमलावर होने के बाद मौके से जान बचाकर भागने की बात कही थी। उसके भागते वक्त का वीडियो भी वायरल हुआ था। दूसरी तरफ पीड़ित पक्ष के लोगों भी तामीला नोटिस भेज कर बयान दर्ज कराने के लिए क्राइम ब्रांच दफ्तर बुलाया है। अब एसआईटी सर्विलांस की आधुनिक सर्विलांस सिस्टम की मदद से उसकी मौके पर होने के सबूत जुटाने की तैयारी कर रही है।
आशीष के साथ उसके साथियों व ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों की भी लोकेशन की हो रही पड़ताल
लखीमपुर हिंसा के दौरान आशीष मिश्रा घटना स्थल पर था या अपने गांव बलबीर पुर में कुश्ती के कार्यक्रम में इसके लिए एसआईटी ने इलेक्ट्रानिक साक्ष्य जुटाने शुरू कर दिए है। टीम ने आशीष मिश्र के दोनों मोबाइल फोन के साथ ही अंकित दास और उसके गनर लतीफ, चालक शिखर, उनकी सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मियों के मोबाइल लोकेशन का बारीकी से परीक्षण कर रही है। जिससे उनके घटना के वक्त किस प्वाइंट पर होने का पता लगाया जा सके।
घटना के वक्त सुमित जायसवाल था मौके पर मौजूद, हुआ था वीडियो वायरल
चश्मदीद सुमित जायसवाल घटना के बाद मीडिया के सामने आकर कहा था कि हम लोग गाड़ियों का काफिला लेकर डिप्टी सीएम का स्वागत करने जा रहे थे। इसीबीच भीड़ से निकले कुछ लोगों ने हमला कर दिया। दुर्घटना के बाद वहां खतरनाक मंजर था। वह लोग मुझे पकड़ लेते तो मैं भी जिंदा नहीं होता। लोग हाथों में तलवार व डंडे लेकर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। वह आशीष को खोज रहे थे, लेकिन वो वहां नहीं थे। मैं अपनी जान बचाकर भाग गया। उसके बाद से सुमित जायसवाल कहां हैं किसी को पता नहीं। एसआईटी के मुताबिक सुमित की तलाश की जा रही है। उसके समाने आने पर घटना से जुड़े कई तथ्य सामने आएंगे।
सदर विधायक का प्रवक्तता है सुमित जायसवाल, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का है चहेता
सुमित जायसवाल लखीमपुर के सदर विधायक का प्रवक्ता होने के साथ ही सभासद भी है। वह आशीष के सभी कार्यक्रमों व भ्रमण के दौरान साथ रहता था। घटना वाले दिन भी वह उसकी थार में मौजूद था। आशीष के कहने पर ही मुकदमा दर्ज कराया था।
आशीष मिश्र आखिरी तक कहता रहा वह नहीं था मौके पर, अन्य ने भी उसके बयानों का किया समर्थन
लखीमपुर हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा ने अपनी रिमांड और हाजिर होने के बाद से एक ही बाद पर टिका है कि वह घटना स्थल पर नहीं था। तीन दिन की रिमांड पर पुलिस भी कुछ खास जानकारी नहीं जुटा सकी। वहीं आशीष के बयानों को अंकित दास, लतीफ उर्फ काले और शिखर तीनों ने उसके मौके पर न होने की बात कही है। इसके चलते अब एसआईटी एडवांस सर्विलांस सिस्टम की मदद से उसकी लोकेशन तय कर नकेल कसेगी। पुलिस ने इसके लिए आशीष मिश्रा के दोनों ही मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल के साथ-साथ उसके इंटरनेट कनेक्टिविटी का पूरा ब्यौरा खंगाल रही है।
हिंसा में मारे गई किसान, भाजपा कार्यकताओं व पत्रकार के परिजनों को नोटिस
लखीमपुर हिंसा की जांच कर रही एसआईटी टीम ने हिंसा में मारे गई किसान, भाजपा कार्यकताओं व पत्रकार के परिजनों को तामीला नोटिस जारी किया है। जिसमें एसआईटी टीम ने उन्हें क्राइम ब्रांच के आफिस में आकर अपने बयान दर्ज कराने को कहा है। अभी तक किसी भी तरफ से मुकदमा दर्ज होने के बाद पीड़ित पक्ष बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचा है। इसके साथ ही पुलिस ने घटना स्थल पर मौजूद करीब दो दर्जन लोगों को चिन्हित कर बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किया है। जिससे केस में कार्रवाई करने में मदद मिले। बताते चले क्राइम ब्रांच की तरफ से बयान दर्ज कराने के लिए टोल फ्री नंबर जारी करने के बाद भी किसी ने आगे बढ़कर घटना से संबंधित जानकारी पुलिस को नहीं दी।
भाजपा विधायक ने लगाया पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान
ने गुरुवार को आशीष की रिमांड से पहले जेल भेजने के बाद पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान उठाए। उन्होंने कहा कि पुलिस सही से काम नहीं कर रही है। उसकी लापरवाही से ही भाजपा कार्यकर्ता श्याम सुंदर और पत्रकार रमन की हत्या हुई। जबकि श्याम सुंदर और रमन पुलिस की मौजूदगी में जिंदा थे। जिसके बाद दोनों का शव मिला। अगर पुलिस उन्हें अस्पताल ले जाती तो ऐसा न होता। जिससे साफ है कि पुलिस पर उपद्रवी हावी थे और पुलिस भाजपा के लोगों को फसा रही है।
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