11 हजार करोड़ रुपए के गन्ना भुगतान की मांग को लेकर अब किसानों ने लखनऊ में डेरा डाल दिया गया। डालीबाग स्थित गन्ना आयुक्त कार्यालय पर 24 घंटे से किसान धरने पर बैठे हैं। इस दौरान यही पर उनका खाना-पीना भी हो रहा है। करीब 500 से ज्यादा किसानों ने यही पर डेरा डाल दिया। इस दौरान किसान नेता सरदान वीएम सिंह ने बताया कि मांगें जब तक पूरी नहीं होगी यहां से किसान हटेगा नहीं।
उन्होंने बताया कि इस साल गन्ना भुगतान को 30 हजार करोड़ रुपए किसानों को देने थे। इसमें अभी भी 11 हजार करोड़ रुपए नहीं दिए जा सके हैं। ऐसे में हम आंदोलन को विवश हुए है। इसके अलावा बढ़ती महंगाई के कारण गन्ना भुगतान किसानों को 450 रुपए प्रति क्विंटल करने कर मांग की गई है। वीएम सिंह ने कहा कि केंद्र और यूपी की सरकार ने चुनाव के पहले काफी बड़े वादे किए थे। लेकिन, सरकार बनने के बाद उन वादों को भूल गई। सरकार ने किसानों की आय को दोगुनी करने का वादा किया था लेकिन सच्चाई यह है कि किसानों को उनका ही हक नहीं मिल रहा है। गन्ना के बकाया का भुगतान सरकार नहीं कर रही है।
सरकार डाका डाल रही
उन्होंने कहा कि यह किसानों का हक है। उनकी मेहनत की कमाई पर सरकार डाका डाल रही है। इतना ही नहीं इस सरकार के आने के बाद महंगाई चरम पर है। पेट्रोल-डीजल के दाम आसमाना छूने लगे हैं। इनके दामों में बढ़ोत्तरी हो रही है। सरकार इस पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है। इसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है। पूरे देश का पेट भरने वाला किसान भूखे मरने की कगार पर आ गया है।
साढ़े तीन करोड़ मतदाता, मांगें नहीं मानीं तो सरकार पलट देंगे
वीएम सिंह ने कहा कि प्रदेश में साढे तीन करोड़ गन्ना किसानों के वोट हैं। सरकार अगर हमारा हक नहीं देती है तो हम 2022 में योगी की सरकार को पलट देंगे। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ हुए छलावे को अब भूलेंगे नहीं।
राहत पैकेज का एक फीसदी किसानों के लिए पर्याप्त
वीएम सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने बीस लाख का राहत पैकेज देने का ऐलान कोरोना को देखते हुए किया था। अगर सरकार इसका एक फीसदी भी किसानों को देती है तो सारे बकाये पूरे हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश की भागीदारी करीब तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की है, जबकि किसानों को बकाया और ब्याज सहित महज बीस हजार करोड़ रूपए की ही जरूरत है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
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