यूपी में बिजली को लेकर रार बढ़ते जा रही है। बिजली कंपनियों ने जहां रेट बढ़ाने के लिए एपिलेट ट्रिब्यूनल नई दिल्ली में मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी की है।
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस मामले में नियामक आयोग में प्रत्यावेदन दिया है। इसमें कहा गया है कि उपभोक्ताओं का करीब 25133 करोड़ रुपए बिजली कंपनियों पर निकल रहा है। ऐसे में छह साल तक 7 फीसदी बिजली दर कम होना चाहिए। उपभोक्ता परिषद के इस प्रत्यावेदन पर नियामक आयोग ने पावर कॉर्पोरेशन से 15 दिप में जवाब मांगा है।
लोक महत्व याचिका दायर की
इस मामले में उपभोक्ता परिषद की ओर से लोक महत्व याचिका दायर की गई है। परिषद का दावा है कि उपभोक्ताओं का करीब 22045 करोड़ रुपए बिजली कंपनियों पर निकल रहा है। ऐसे में बिजली दर बढ़ाने की वजह कम छह साल तक कम किया जा सकता है। परिषद का दावा है कि 7 फीसदी तक बिजली दर में कमी की जाएगी।
4 अगस्त को बिजली दर लागू हो गई थी
मध्यांचल , पूर्वांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल व केस्को की वर्ष 2022-23 का बिजली दर आदेश 20 जुलाई को सुनाया गया था। 4 अगस्त से प्रदेश में नई बिजली दर लागू हो गई थी। जिस पर ऊर्जा मंत्री सहित सरकार के लोगों ने खूब वाह वाही लूटी थी।
80 स्लैब को घटाकर 59 किया गया थामौजूदा समय में पावर कॉर्पोरेशन में घरेलू, कॉमर्शियल, कृषि, इंडस्ट्री समेत अलग-अलग सेक्टर को मिलाकर 80 स्लैब थे। उनमें 21 स्लैब अब हटा दिए गए हैं। अब कुल 59 स्लैब होंगे।
यूपी सरकार ने जहां ग्रामीण घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के मामले में स्लैब के हिसाब से 3.15 रुपए प्रति यूनिट से लेकर अधिकतम स्लैब पर 1 रुपए प्रति यूनिट की सब्सिडी घोषित की है
500 से ज्यादा घरेलू यूनिट खर्च करने वालों को फायदा मिलना था
स्लैब | पुराना चार्ज | नया चार्ज | दोनों में अंतर |
0 से 150 यूनिट | 5.50 रुपए | 5.50 रुपए | कोई नहीं |
151 से 300 यूनिट | 6 रुपए | 6 रुपए | कोई नहीं |
300 से 500 यूनिट | 6.50 रुपए | 6.50 रुपए | कोई नहीं |
500 से ज्यादा | 7 रुपए | 6.50 रुपए | 0.50 पैसा |
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