उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में पार्टियों की तरफ से घोषित प्रत्याशियों की आपराधिक कुंडली सामने आने लगी है। पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों का आपराधिक रिकॉर्ड वेबसाइट और ट्विटर पर पोस्ट किए हैं। भाजपा के 193 प्रत्याशियों में से 78 ऐसे हैं जिन पर क्रिमिनल केस हैं। सपा के 159 में से 70 प्रत्याशी आपराधिक बैकग्राउंड वाले हैं। वहीं, कांग्रेस में यह आंकड़ा थोड़ा कम है। कांग्रेस के 166 में से 35 प्रत्याशियों पर ही क्रिमिनल केस होने की बात अब तक सामने आई है।
शामली के कैराना विधानसभा सीट से नाहिद हसन और रामपुर विधानसभा सीट से आजम खां को उम्मीदवार बनाने पर जिस भाजपा ने सपा को घेरा, उसके ही सबसे अधिक प्रत्याशी दागी हैं। सपा के ये दोनों ही उम्मीदवार इस समय जेल में हैं। आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां भी स्वार विधानसभा सीट से प्रत्याशी है्ं। वह हाल में ही जेल से जमानत पर छूटे हैं। वह 2017 में विधायक बने, लेकिन फर्जी दस्तावेजों के कारण उनकी विधायकी रद्द कर दी गई थी। इसी केस में उन्हें जेल भी जाना पड़ा। सपा की लिस्ट के बाद भाजपा ने इस राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया।
अब शपथ पत्रों के सच से भाजपा ही कठघरे में आ गई है। ये आंकड़े उन प्रत्याशियों के हैं, जिन्होंने पहले चरण के चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। अगले चरणों का नामांकन होने तक आपराधिक रिकॉर्ड वाले नेताओं की संख्या में इजाफा होना लगभग तय है।
तीनों प्रमुख दल यानी भाजपा, सपा और कांग्रेस ने अब तक 183 प्रत्याशियों का आपराधिक रिकॉर्ड चुनाव आयोग द्वारा तय सी-फॉर्मेट में जारी किया है। भाजपा ने जिन प्रत्याशियों का ब्योरा सार्वजनिक किया है, उनमें डिप्टी सीएम और सिराथू से घोषित प्रत्याशी केशव प्रसाद मौर्य समेत छह मंत्री भी शामिल हैं।
वहीं, सपा ने अभी तक जिन 70 प्रत्याशियों की आपराधिक रिकॉर्ड वेबसाइट पर अपलोड किया है। उनमें राजेश यादव, रामखिलाड़ी सिंह, नसीर अहमद खान, पंकज मलिक, मधुसूदन शर्मा जैसे प्रत्याशियों के नाम ही शामिल हैं। बड़े नेताओं का आपराधिक बैकग्राउंड सपा ने फिलहाल वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया है।
अगर कांग्रेस की बात करें तो यहां 166 प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है। इनमें से 3 प्रत्याशियों के पार्टी छोड़ने के कारण यह संख्या 163 ही रह गई है। इसमें से कांग्रेस ने अब तक 35 प्रत्याशियों का आपराधिक रिकॉर्ड ही अपने ट्विटर हैंडल से सार्वजनिक किया है। कांग्रेस ने यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड नहीं की है।
दागी नहीं है, दाग लगाया है
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस बार चुनाव आयोग ने सभी दलों के लिए प्रत्याशियों का आपराधिक ब्यौरा सार्वजनिक करना अनिवार्य किया है। इसके लिए फॉर्म सी-7 का फॉर्मेट भी जारी किया है। इसके हिसाब से सभी पार्टियों को यह भी बताना है कि उन्होंने आपराधिक छवि का उम्मीदवार क्यों चुना? इसमें पार्टियां बता रही हैं कि उनके प्रत्याशी पर दाग है नहीं बल्कि लगाया गया है। भाजपा ने आपराधिक छवि होने के बावजूद प्रत्याशियों को टिकट देने के पीछे जिला इकाई की संस्तुति और उनका लोकप्रिय होना बताया है। वहीं, सपा ने ज्यादातर प्रत्याशियों के मामले में कहा है कि इन्हें टिकट इसलिए दिया गया, क्योंकि ये समाजसेवी हैं, गरीबों की मदद करते हैं। दूसरों के मुकाबले ज्यादा बेहतर हैं।
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