यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार मां-बेटी के उम्मीदवार आमने-सामने हो सकते है। हम बात कर रहे है अपना दल (कमेरावादी) और अपना दल (सोनेलाल) राजनीतिक पार्टी की। सोनेलाल पटेल के देहांत के बाद मां कृष्णा पटेल और बेटी अनुप्रिया पटेल की राजनीतिक राह अलग-अलग हो गई। भाजपा की सहयोगी पार्टी 2014 में बनी अनुप्रिया पटेल अपना दल (सोनेलाल) 2022 का चुनाव भी साथ लड़ेगी।
वहीं सपा के साथ गठबंधन का एलान करने के बाद कृष्णा पटेल भी उन्हीं जिलों में सक्रिय हैं, जहां उनकी बेटी के दल से विधायक जीतकर 2017 में विधानसभा में पहुंचे थे। कृष्णा पटेल की पार्टी और सपा के सूत्र बताते है इस बार विधानसभा चुनाव में ऐसे उम्मीदवारों की तलाश की जा रही है, जो अनुप्रिया पटेल के दल को चुनौती देने लायक हों। माना यह जा रहा है कि करीब 7 विधानसभा पर उम्मीदवार आमने-सामने हो सकते है।
7 सीटें भी तकरीबन तय, प्रतापगढ़ से खुद कृष्णा हो सकती हैं उम्मीदवार
अपना दल (कमेरावादी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने बीते दिनों अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद मीडिया में बयान दिया था। यूपी के इलाहाबाद की सोरांव, सिद्धार्थनगर की शोहरतगढ़, फतेहपुर की जहानाबाद, वाराणसी की सेवापुरी, प्रतापगढ़ की विश्वनाथगंज की सीटें हो सकती हैं। इसके अलावा लिस्ट में जौनपुर की मडियाहूं और मिर्जापुर की छानबे की सीट भी हैं। प्रतापगढ़ शहर की सीट से कृष्णा पटेल खुद उम्मीदवार हो सकती है।
आइए, आपको बताते हैं कि 2017 विधानसभा चुनाव में अपना दल (सोनेलाल) को किन सीटों पर सफलता मिली थीं...
अमर सिंह चौधरी | शोहरतगढ़ | सिद्धार्थनगर |
डॉ. जमुना प्रसाद सरोज | सोरांव | प्रयागराज |
जय कुमार सिंह (जैकी) | जहानाबाद | फतेहपुर |
नील रतन सिंह पटेल 'नीलू' | सेवापुरी | वाराणसी |
डॉ. आरके वर्मा | बिश्वनाथगंज | प्रतापगढ़ |
राहुल प्रकाश | छानबे | मिर्ज़ापुर |
लीना तिवारी | मडियाहूं | जौनपुर |
हरीराम | दुद्धी | सोनभद्र |
राजकुमार पाल | प्रतापगढ़ | प्रतापगढ़ |
इन्द्र प्रताप तिवारी (BJP के टिकट पर चुनाव लड़े थे) | गोसाईगंज | फैजाबाद |
कृष्णा ठुकरा चुकी हैं बेटी का ऑफर
कृष्णा पटेल की तरफ से बाकायदा एक बयान जारी किया गया। इसमें उन्होंने साफ कर दिया है कि किसी भी कीमत पर अनुप्रिया पटेल के साथ नहीं जाएंगी। उन्होंने कहा, 'डॉ. सोनलाल पटेल के आंदोलन की अहमियत का इन्हें अंदाजा ही नहीं है। यह नहीं जानते कि डॉक्टर पटेल मंत्री बनाने और MLC बनाने के लिए नहीं लड़ रहे थे। वह लड़ रहे थे किसानों के लिए। जो लोग इनसे समझौता करके बैठे हैं, वे बहुत छोटी राजनीति कर रहे हैं'।
2 धड़ों में बंटी पार्टी फिर एक न हुई
अपना दल का गठन सोनेलाल पटेल ने किया था। इसकी कमान उनके निधन के बाद अनुप्रिया पटेल ने संभाली। 2012 में अनुप्रिया पटेल पहली बार विधायक चुनी गईं। 2014 में भाजपा से गठबंधन करके सांसद बनी। इसके बाद अनुप्रिया पटेल और उनकी मां कृष्णा पटेल के बीच सियासी वर्चस्व की जंग छिड़ गई। अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने पल्लवी पटेल को अपनी जगह पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का फैसला किया था।
इसका अनुप्रिया पटेल ने विरोध किया। इसके बाद अनुप्रिया ने खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया था। इस पर उनकी मां ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। फिर अपना दल दो हिस्सों में बंट गई। एक की कमान अनुप्रिया पटेल ने अपने हाथों में ले ली, तो दूसरी की कमान उनकी मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल के हाथों में है। अनुप्रिया पटेल खुद को सोनेलाल पटेल के वारिस के तौर पर साबित करने में सफल रही हैं। कृष्णा पटेल अभी कोशिशें कर रही हैं। ऐसे में अनुप्रिया के गुट के नेताओं को मानना है कि पल्लवी पटेल के चलते परिवार में सुलह-समझौता का फॉर्मूला नहीं बन पा रहा है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.