हॉल मार्क की अनिवार्यता ने सोने का कारोबार 80 फीसदी तक गिरा दिया है। 16 जून से लागू आदेश के बाद प्रदेश के 70 फीसदी जिले आपस में कारोबार नहीं कर पा रहे है। दरअसल, नए नियम के अनुसार गोल्ड का काम करने वाले दोनों कारोबारियों के लिए हॉल मार्क लाइसेंस होना अनिवार्य है। अब यह लाइसेंस प्रदेश के 19 जिलों में है। ऐसे में यही 25 जिलें के कारोबारी आपस में नया माल खरीद और बिक्री कर रहे हैं।
जबकि 30 सितंबर तक पुराना स्टॉक खत्म करने का आदेश है। अब कारोबारी पुराने माल को पहले खत्म करना चाहते है लेकिन उसमें मुसिबत यह है कि बहुत सारा माल कस्टमर को पसंद नहीं आ रहा है। ऐसे में छोटे सराफा कारोबारियों की परेशानी बढ़ गई है। इसका फायदा ब्रांडेड कंपनियों को मिल रहा है, क्योंकि उनका सभी माल हॉल मार्क वाला होता है। कस्टमर उनकी तरफ जा रहा है।
20 फीसदी से कम रह गया कारोबार
लखनऊ महानगर सराफा के महामंत्री राहुल गुप्ता के मुताबिक लखनऊ में इस समय सर्राफा का कारोबार केवल 20 प्रतिशत ही रह गया है। सोने की खरीददारी पर हॉलमार्क अनिवार्य होने के बाद से अयोध्या, सुल्तानपुर, आजमगढ, प्रतापगढ़, हरदोई, संडीला, अम्बेडकरनगर समेत अन्य जिलों में जहां हॉलमार्क व्यवस्था लागू नहीं हुई है, उन जिलों में 16 जून के बाद से कोई भी लेनदेन नहीं हुआ है।
लखनऊ से एक दिन में होता 300 किलो सोने का कारोबार
लखनऊ में प्रतिदिन बुलियन और गहने को मिलाकर प्रतिदिन करीब 300 किलो से ज्यादा सोने का कारोबार होताहै। मौजूदा रेट के हिसाब से एक दिन का कारोबार 150 करोड़ रुपए से ज्यादा है। लेकिन अभी 30 किलो सोने का काम भी नहीं हो रहा है। चौक बाजार के कारोबारी के पास 250 किलो सोने के कारोबार का लाइसेंस है। बताया जा रहा है कि उन लोगों के यहां भी काम 80 फीसदी से कम हो गया है।
हॉलमार्क व्यवस्था इन जिलों में लागू है
आगरा,प्रयागराज, बरेली, बंदायू, देवरिया, गाजियाबाद, गोरखपुर, जौनपुर, झांसी, मथुरा, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फर नगर, गौतमबुद्ध नगर, शाहजहांपुर, वाराणसी।
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