उत्तर-प्रदेश में अब दंगा, हिंसा या उपद्रव की वजह से किसी की मौत हो जाती है, तो मुआवजे की वसूली दंगाई या हिंसा फैलाने वाले दोषी से किया जाएगा। यूपी सरकार ने 'उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक, 2022’ को आज विधानसभा से पास करा लिया है।
इसमें हड़ताल, दंगा और उपद्रव में सार्वजनिक और निजी संपत्ति को हुए नुकसान की उपद्रवियों से वसूली का प्रावधान है। इके साथ ही अगर दंगे या उपद्रव में किसी व्यक्ति की जान जाती है, तो दावा अधिकरण(क्लेम अथॉरिटी) को पांच लाख रुपए प्रतिपूर्ति देने का अधिकार दिया गया है। इसकी वसूली दोषी व्यक्ति से की जाएगी।
विधानसभा में ध्वनि-मत से पारित हुआ विधेयक
उत्तर प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को समाजवादी पार्टी(सपा) की गैर मौजूदगी में ‘उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक, 2022’ ध्वनि मत से पारित हो गया। इसके पहले बहुजन समाज पार्टी(बसपा) के नेता उमाशंकर सिंह ने प्रस्तावित विधेयक को प्रवर समिति को सौंपे जाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या अधिक होने से सिंह का प्रस्ताव गिर गया।
संशोधन विधेयक में क्या है खास?
उत्तर प्रदेश सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई अध्यादेश -2020
2020 में उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने जुलूसों, विरोध प्रदर्शनों, बंद इत्यादि के दौरान नष्ट होने वाली संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिये ‘उत्तर प्रदेश सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई अध्यादेश -2020’ पारित किया था। इसी के बाद उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा सार्वजनिक और निजी संपत्ति की नुकसान की वसूली के दावे के लिए एक नया अधिकरण का गठन किया गया।
यह अध्यादेश एक ही घटना के लिये कई अधिकरणों के गठन की अनुमति देता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कार्यवाही तीन महीने के भीतर संपन्न हो जाए, साथ ही अधिकरण को एक ऐसे मूल्यांकनकर्त्ता की नियुक्ति का अधिकार है जो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त पैनल में हानि का आकलन करने हेतु तकनीकी रूप से योग्य हो।
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