पहली फिल्म फ्लॉप हुई तो 14 साल एक्टिंग नहीं की:वापस आए तो डेढ़ साल में 7 फिल्में बना दीं; संग्राम कहते हैं आम्रपाली के साथ कभी काम नहीं करूंगा

3 दिन पहलेलेखक: राजेश साहू
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एक 4 साल का बच्चा अपने पिता के साथ फिल्में देखने जाता था। पिता फिल्म देखकर बाहर आते तो कहते, "तुम बड़े हो जाओगे, तो तुम्हें हीरो बनाऊंगा।" बच्चा बड़ा हुआ तो पिता ने खुद एक फिल्म प्रोड्यूस की। फिल्म फ्लॉप हो गई। पिता ने आगे कोई फिल्म नहीं बनाई। लेकिन बेटे के दिल में पिता का सपना बाकी था। 14 साल बाद उसने वापसी की। वापसी भी ऐसी कि डेढ़ साल के अंदर 7 फिल्में बना दीं।

वह कोई और नहीं, बल्कि भोजपुरी के 'दबंग स्टार' संग्राम सिंह पटेल हैं। हमने संग्राम से उनके जीवन के किस्सों को जाना। दोबारा फिल्मों में आने की वजह जानी। भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता पर सवाल किया। फिल्मों पर होने वाले खर्च को जाना। साथ ही भोजपुरी सिनेमा के उन लोगों के बारे में जाना, जो फिल्मों का भविष्य तय करते हैं। आइए संग्राम सिंह की कहानी के साथ भोजपुरी सिनेमा को जानते हैं...

बेटे को एक्टर बनाना था, तो पिता ने फिल्म बना दी

संग्राम सिंह का घर बस्ती जिले के डुमरी गांव में है। पिता आरसी वर्मा पेशे से डॉक्टर हैं। भोजपुरी फिल्मों के शौकीन हैं। राजनीति में भी सक्रिय भूमिका रही है। बसपा के फाउंडिंग मेम्बर्स में से एक थे। राजनीति में भागीदारी और फिल्मों की रुचि के कारण बेटे संग्राम सिंह का भी मन इन्हीं दोनों कामों में लगता। पिता के साथ ही फिल्म देखने जाते। आते तो फिल्म की कहानी पर लंबी बात करते। 2007 में आरसी वर्मा ने टूटे न सनेहिया हमार फिल्म बनाई। बेटे को भोजपुरी इंडस्ट्री में लॉन्च किया। लेकिन फिल्म फ्लॉप हो गई।

संग्राम सिंह कहते हैं, "उस फिल्म को तैयार करने में बहुत वक्त लगा। बहुत पैसा खर्च हुआ। पिताजी ने बहुत मेहनत की, लेकिन फिल्म का प्रचार नहीं हो पाया। इसलिए फिल्म चल नहीं पाई। यही कारण है कि इसके बाद मैंने फिल्म में काम नहीं करने का फैसला किया। बिहार के सहरसा जिले से BAMS किया और बस्ती के ही गनेशपुर में प्रैक्टिस शुरू कर दी। बहुत सारे लोगों का इलाज किया।"

पिता के सपनों के लिए 14 साल बाद की वापसी
संग्राम सिंह 14 साल तक फिल्मों से दूर रहे। लेकिन उनके अंदर का कलाकार खत्म नहीं हुआ था। बीच में कुछ ऑफर भी मिले, लेकिन इंडस्ट्री में आने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। 2021 में आखिरकार 14 सालों का वनवास खत्म करने का फैसला ले लिया और एक्टिंग में उतर आए। 'इश्क नचाए बीच बाजार' से जो कारवां शुरू हुआ वह 'बलमुआ नदिया पार के', 'सपनों का सफर', 'जिअब तोहरे खातिर', 'रघुवंश', 'शोला शबनम पार्ट-2' तक पहुंच गया। इन फिल्मों में वह लीड एक्टर के रूप में उतरे।

यह संग्राम की फिल्म का पोस्टर है। इसे उन्होंने खुद ही प्रोड्यूस किया है।
यह संग्राम की फिल्म का पोस्टर है। इसे उन्होंने खुद ही प्रोड्यूस किया है।

संग्राम 'मोहे रंग दे प्यार के रंग सजना' और 'इश्क नचाए बीच बाजार' फिल्म में न सिर्फ लीड हीरो रहे, बल्कि उसको प्रोड्यूस भी किया। इस वक्त संग्राम की 'जनता दरबार' सिनेमा घरों में लगी है। 'मोहे रंग दे प्यार के रंग सजना' अगले महीने रिलीज होगी।

फिल्म 15 दिन में बनती है, रिलीज में सालों बीत जाते
संग्राम भोजपुरी सिनेमा से जुड़ी कुछ जरूरी बातें बताते हैं। हमने पूछा कि एक फिल्म को तैयार करने में कितना खर्च और वक्त लगता है? वह बताते हैं, फिल्म के लिए 30 लाख से 3 करोड़ रुपए तक खर्च कर सकते हैं। कहानी तैयार होती है, तो शूटिंग भी 15 दिन के अंदर हो जाती है। इसके बाद पोस्ट प्रोडक्शन के काम में 3 महीने लगते हैं। मतलब 4 महीने के अंदर फिल्म पूरी तरह से तैयार हो जाती है, लेकिन रिलीज नहीं हो पाती।

हमने पूछा ऐसा क्यों? संग्राम बताते हैं, "3-4 लोगों का फिल्म इंडस्ट्री पर कब्जा है। वही तय करते हैं कि कब-कौन सी फिल्म जानी है। इसलिए छोटे-छोटे प्रोड्यूसर एक-एक साल तक फिल्म बनाकर अटके रहते हैं। बेच नहीं पाते। लेकिन मैं 14 साल बाद वापस आया हूं, इसलिए झुकूंगा नहीं।" हमने पूछा, वो चार लोग कौन हैं? संग्राम कहते हैं कि इसका जवाब वक्त आने पर दूंगा।

'मोहे रंग दे प्यार के रंग सजना' फिल्म की शूटिंग के इस हिस्से को शूट करते हुए संग्राम बाल-बाल बच गए थे।
'मोहे रंग दे प्यार के रंग सजना' फिल्म की शूटिंग के इस हिस्से को शूट करते हुए संग्राम बाल-बाल बच गए थे।

आम्रपाली के साथ कभी काम नहीं करूंगा
फिल्मों में नए लोगों के स्ट्रगल को लेकर वह कहते हैं कि शुरुआत में दिक्कत होती है। एक किस्से का जिक्र करते हुए संग्राम बताते हैं कि 'मोहे रंग दे प्यार के रंग सजना' में हमने आम्रपाली को अपने साथ रखने का फैसला किया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। हमारे डायरेक्टर ने बताया कि उन्होंने कहा था मैं नए लोगों के साथ काम नहीं करूंगी। उस दिन मैंने भी तय किया कि मैं भी आम्रपाली के साथ कभी काम नहीं करूंगा।

भोजपुरी फिल्मों में नहीं, गानों में अश्लीलता है
एक बड़े पाठक वर्ग का मानना है कि भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता बढ़ गई है। परिवार के साथ नहीं देखा जा सकता। इसलिए हमने संग्राम से पूछा, आखिर भोजपुरी फिल्मों में इतनी अश्लीलता क्यों होती है? संग्राम कहते हैं, "भोजपुरी ही क्यों, हिंदी फिल्मों में तो अश्लीलता बहुत पहले से है। दयावान फिल्म में विनोद खन्ना का रोल देखिए। आज के वक्त में हनी सिंह के गाने इतने अश्लील होते हैं कि सुना नहीं जा सकता। बाकी भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता नहीं है, अलबम में है। जिस दिन यहां सेंसर बन जाएगा यहां भी चीजें सही हो जाएंगी।"

पांडेय जी का बेटा, यादव जी का बेटा, पटेल जी का बेटा जैसे गानों पर वह कहते हैं कि मैं खुद भी इसके खिलाफ हूं। गाने में अश्लीलता नहीं होनी चाहिए। बाकी कई बार पब्लिक की डिमांड होती है। ढोड़ी वाला गाना डेढ़ सौ मिलियन लोगों ने देखा। तमाम लोग अब वही बना रहे हैं।

योगीजी से भोजपुरी फिल्मों के लिए मल्टीप्लेक्स मागूंगा
पूरे देश में भोजपुरी दर्शकों की संख्या बाकी क्षेत्रीय फिल्म इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा है। 35 करोड़ लोग भोजपुरी भाषा को समझते हैं। लेकिन इसके बावजूद फिल्में कमाई नहीं कर पाती। हमने संग्राम से पूछा तो वह बताते हैं, मेरी 'जनता दरबार' फिल्म आई, पूरे देश में लगी है। लेकिन लोग पूछते हैं कि यूट्यूब पर नहीं आई क्या? जबकि साउथ की फिल्मों के साथ ऐसा नहीं है। वहां लोग परिवार के साथ सिनेमाघरों में फिल्म देखने जाते हैं। फिल्म मल्टीप्लेक्स में रिलीज होती है, लोग देखने जाता है।

"मैं इस सिलसिले में सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलूंगा। उनसे अपील करूंगा कि GO जारी करके कम से कम गोरखपुर के हर मल्टीप्लेक्स में कम से कम एक स्क्रीन मिले। जब थिएटर मिलेगा तो अच्छी फिल्में बनेंगी, अच्छे लोग देखने जाएंगे।"

आकांक्षा दुबे को आगे बढ़ाने में समर सिंह का बड़ा हाथ था
भोजपुरी इंडस्ट्री में लड़कियों की स्थिति और आकांक्षा दुबे की आत्महत्या को लेकर संग्राम कहते हैं, फिल्म इंडस्ट्री में लड़कियों के लिए अच्छा माहौल है। अक्षरा से लेकर आम्रपाली तक सब आगे बढ़ रही हैं। जहां तक आकांक्षा दुबे की बात है तो पहले उन्हें कम लोग जानते थे। समर सिंह का साथ मिला, इसलिए लोग उन्हें जानने लगे। जहां तक आत्महत्या की बात है, समर सिंह इस मामले में पूरी तरह से निर्दोष हैं।

आकांक्षा की यह आखिरी रील थी, इसे पोस्ट करने के बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली थी।
आकांक्षा की यह आखिरी रील थी, इसे पोस्ट करने के बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली थी।

एक दिन सांसद से भी ऊंची कुर्सी तक जाना है
आखिर में हमारा सवाल राजनीतिक था। हमने पूछा कि भोजपुरी में जो स्टार बनते हैं वह सांसद बन जाते हैं, निरहुआ, रवि किशन और मनोज तिवारी उदाहरण हैं। क्या हम मान के चलें कि संग्राम सिंह के आगे भी सांसद लिखा जाएगा? संग्राम कहते हैं, न सिर्फ भोजपुरी बल्कि बॉलीवुड में भी लोग सांसद बने हैं। हमारा परिवार राजनीतिक रहा है। ऐसे में भोजपुरी इंडस्ट्री से चौथा सांसद हो जाएगा तो कोई बड़ी बात नहीं। बाकी सांसद से भी ऊंची कुर्सी तक जाएंगे।

फिलहाल संग्राम सिंह इस वक्त 'हाईकोर्ट' और 'एसीपी संग्राम' की शूटिंग शुरू करने वाले हैं। बीच-बीच में वह अपने यूट्यूब चैनल 'अवध गंगा' म्यूजिक के लिए एलबम शूट करते हैं। संग्राम की ज्यादातर शूटिंग लखनऊ, बाराबंकी या फिर बस्ती में होती है। आगे हम आपको किसी दिन शूटिंग लोकेशन से पूरी कहानी बताएंगे।

यह फोटो संग्राम की टीम का है। जल्द ही उनका नया गाना रिलीज होने वाला है।
यह फोटो संग्राम की टीम का है। जल्द ही उनका नया गाना रिलीज होने वाला है।
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