लखनऊ में शारदीय नवरात्र की महाषष्ठी तिथि को कई जगह मां दुर्गा विराजमान हुईं। कैंट इलाके में लोगों ने बुलडोजर से मां की पूजा की। शनिवार शाम को मंत्रोच्चार के साथ सायंकाल देवी का बोधन हुआ। जिसमें मां के विभिन्न स्वरूपों का ध्यान करते हुए उन्हें पूजा स्थल पर विराजमान होने का आमंत्रण दिया गया। इसके उपरान्त मां को शस्त्र धारण करवाए गए।
इसके बाद ही पूजा पंडालों में चार दिवसीय दुर्गा पूजा उत्सव शुरू हो गया। इस अवसर पर भक्तों ने पूजा पंडालों में विराजमान मां की भव्य प्रतिमा के सामने धुनुची नृत्य कर मां की आराधना की।
लखनऊ कैंट में बुल्डोजरास्त्र से मां की पूजा
लखनऊ के कैंट इलाके में लोगों ने बुलडोजर से मां की पूजा की। उनका मानना है कि बुलडोजर न्याय का प्रतीक है। 'बुल्डोजरास्त्र' से मां कलयुग में राक्षसों का विनाश करेंगी।
शहर में अलग-अलग जगह पर दुर्गा पूजा की तस्वीरें देखिए
बंगाल से आए ढाकियों की थाप पर झूमें श्रद्धालु
पूजा पंड़ालो में सुबह व शाम की आरती एवं पुष्पांजली का बेहद महत्व होता है‚ जिस समय आरती होती है‚ उस समय ढाक वादन किया जाता है और लोबान के धुएं की आरती की जाती है। ट्रांसगोमती दुर्गा पूजा कमेटी के प्रवक्ता टुहिन बनर्जी ने बताया कि ये ढाकी बंगाल से आते हैं। इसमें अधिकतर मालदा के हैं।
ये लोग किसान होते हैं और दुर्गा पूजा के समय विभिन्न पंड़ालों में मां के सामने ढाक बजाते हैं। इन लोगों को भी मां के सामने ढाक बजाने का पूरे वर्ष इंतजार रहता है। एक तरह से कहा जाए तो दुर्गा पूजा का वार्षिक महोत्सव इन ढाकियों के घरों में समृद्धि लेकर आता है।
बंगाली क्लब में कलारीपट्टू कला पर भरतनाट्यम नाटिका का मंचन नवरात्र की षष्ठी पर शनिवार को राजधानी के दुर्गा पूजा पंडालों में मां जगत जननी की विधि विधान से पूजा करके उनका आवाह्न किया गया। महिलाओं ने देवी मां की आराधना करके संतान और परिवार के सुखमय जीवन की कामना की। मां को फलों आदि से भोग लगाकर उनसे सुख‚ समृद्धि और रोगमुक्त होने का आशीर्वाद मांगा। रात में पंडाल जगमगाती लाइटों और भव्य सजावट से रोशन रहे। इसी क्रम में प्राचीन पूजा में शुमार बंगाली क्लब में भरतनाट्यम नृत्य नाटिका का मनोहारी प्रदर्शन कलाकारों ने किया।
बंगाली क्लब में मां का आह्वान करते हुए शस्त्र पूजा कर स्थापना की गई। यहां पर दक्षिण भारत के कलारीपट्टू कला (मार्शल ऑर्ट) पर आधारित भरतनाट्यम नृत्य नाटिका का मंचन कर देवी मां का आगोमुनि किया गया। इस नृत्य का उद्देश्य पुरानी संस्कृति को बढ़ाने की कोशिश था। सप्तशती चंडी पाठ के तीन अध्यायों पर केंद्रित इस नाटिका में मुख्य कलाकार सिंजनी सरकार ने मां चंडिका महालक्ष्मी स्निग्धा सरकार ने महाकाली‚ वैशाली जायसवाल ने महासरस्वती‚ विशाल नाथ ने महिषासुर‚ आशुतोष व अभिश्रेष्ठ ने शुम्भ–निशुंभ व चंड–मुंड का अभिनय किया। भगवान शिव का अंश पांडेय‚ ब्रह्मदेव सूत्रधार का हरित शर्मा‚ पार्वती का रिदम श्रीवास्तव ने बखूबी किरदार निभाया।
पूजा पंड़ालों में गूंजी ढाक की थाप‚ सायंकाल बोधन के साथ मां को धारण कराए गए शस्त्र
चंडिका महालक्ष्मी ने महिषासुर‚ महाकाली ने चंड–मुंड और महासरस्वती ने शुम्भ–निशुम्भ का वध किया तो पंडाल माता की जय जयकार से गूंज उठा।इसी प्रकार मॉडल हाउस पार्क में मित्रों संघों की ओर से बने भव्य श्री राम मंदिर की छवि वाले पंडाल में समिति के विनोद तिवारी और महासचिव नितेश ने अन्य सदस्यों के साथ पूजन कर मां की प्रतिमा की स्थापना की।
यहां पर बंगाल से आई महिला ढाकियों सरोमा व सुपर्णा मंडल और तमा हलदर ने लाल बॉर्डर पर पीली साड़ी पहन रिदम के साथ ढाक की प्रस्तुति देकर लोगों को मुग्ध कर दिया। तीनों महिला ढाकियों ने बताया कि वह पहली बार यूपी आई हैं।
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