अखिलेश के सामने स्वामी प्रसाद के विवादित बोल:कहा-भाजपा के नारे सुनकर लगता है जैसे PM मोदी ही भगवान राम को लाए हैं

कुरावली, मैनपुरी7 महीने पहले
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मैनपुरी लोकसभा उप-चुनाव के लिए नामांकन का दौर खत्म होने के बाद अब प्रचार का दौर शुरू हो गया है। शुक्रवार को करहल में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य समेत कई नेताओं ने कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया।

इस दौरान अखिलेश यादव और विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा। मौर्य ने तो भाजपा के लोगों को राम के नाम का सौदा करने वाला बता डाला। उन्होंने कहा कि राम के नाम पर भाजपाई दुकान चला रहे हैं। सम्मेलन में सपा के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल सिंह यादव, विधायक सोबरन सिंह ने भी मंच से डिंपल यादव के समर्थन में वोट मांगने की अपील की। यह कार्यकर्ता सम्मेलन दिहुली गांव के एक स्कूल में हुआ।

स्वामी बोले- जो राम का सौदा कर सकते हैं, वे किसी को नहीं छोड़ेंगे

मंच से सपा के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते स्वामी प्रसाद मौर्य।
मंच से सपा के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते स्वामी प्रसाद मौर्य।

पहले कार्यकर्ताओं को विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य ने संबोधित किया। उन्होंने कहा, "आज नौजवानों को सरकारी नौकरी के लाले पड़े हैं। अगर भाजपा सरकार रही, तो कभी नौकरी नहीं मिलेगी। PET हर साल दिलवाया जा रहा है, लेकिन नौकरी नहीं दी जा रही है। युवा धक्के खाने को मजबूर हैं। भाजपा के लोग राम के नाम का सौदा कर अपनी दुकान चला रहे हैं।''

उन्होंने कहा, ''ये लोग नारा दे रहे हैं कि मोदी जी आए हैं, राम को लाए हैं। यह नारा सुनकर ऐसा लगता है कि मोदी ने राम को पैदा किया है। इनसे आने के बाद ही राम जी का जन्म हुआ है। जो पार्टी राम का सौदा करती है, वह आपका भी सौदा कर सकती है। आपके साथ धोखा कर सकती है।"

न सरकारी विभाग रहेंगे, न सरकारी नौकरी
स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा, "भाजपा की डबल इंजन की सरकार फेल हो गई है। युवा बेरोजगार है और ट्रेनों, बसों में धक्का खाने को मजबूर है। डबल इंजन की सरकार रोजगार नहीं दे पा रही है। यूपी सरकार 200-300 भर्ती लेकर आती है और 36 लाख युवाओं को PET दिलवाती है। इससे बेरोजगारी का अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकारी विभागों को निजी चहेते पूंजीपतियों को बेचा जा रहा है। सरकार ऐसा काम कर रही है कि न बांस रहेगा न बांसुरी और न सरकारी विभाग रहेंगे न सरकारी नौकरी।''

अखिलेश बोले- नेता जी के बिना यह मेरा पहला चुनाव है

नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मैनपुरी की जनता सपा को हारने नहीं देगी।
नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मैनपुरी की जनता सपा को हारने नहीं देगी।

इस मौके पर पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, "यह मेरा पहला चुनाव होने जा रहा है, जिसमें नेता जी हमारे बीच नहीं हैं। पूरा देश देख रहा है कि मैनपुरी की जनता कितने वोटों से जीतने जा रही है। यहां नेताजी मुलायम सिंह यादव जनता के नेता रहे हैं। जमीन से जुड़े रहे हैं। जो संघर्ष नेता जी ने किया है, उस संघर्ष को और मजबूत बनाना है। वोट के माध्यम से ऐतिहासिक जीत दिलानी है। भाजपा के लोग कहते हैं कि आजमगढ़ हराया है, मैनपुरी भी हराएंगे। मगर, हम कहते हैं कि आजमगढ़ तो हम धोखे से हार गए। मैनपुरी सपा का गढ़ है। मैनपुरी की जनता पार्टी को हारने नहीं देगी।"

बोले- हर कमजोर बूथ को मजबूत करना है

कार्यकर्ता सम्मेलन में पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव को याद कर कहा, " नेता जी ने हमें यहां तक पहुंचाया है लेकिन अभी भी आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक लड़ाई अधूरी है, ये लड़ाई अब हम लोगों को आगे लड़नी है। नेता जी के सपने को आगे लेकर जाना है। उन्होंने करहल के कार्यकर्ताओं से अपील की अगर करहल की जनता चाह ले तो कोई हरा नहीं सकता। कोई बूथ कमजोर नहीं रहना चाहिये। हर बूथ को मजबूत करना है। "

राम गोपाल यादव ने एकजुट रहने की अपील की
सपा के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव ने कार्यकर्ताओं से कहा कि सभी कार्यकर्ताओं को एकजुट रहना है, तभी प्रचंड जीत होगी। इसके बाद विधायक सोबरन सिंह ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि गुरु-शिष्य और पिता-पुत्र का कभी बंटवारा नहीं होता। ये कोई भी कहे तो मत मानना। उन्होंने सभी से एकजुट रहने की अपील की। साथ ही सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के लिए कमजोर बूथ को भी मजबूत करने की अपील की।

कार्यकर्ता सम्मेलन में मौजूद लोग।
कार्यकर्ता सम्मेलन में मौजूद लोग।

पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं मौर्य
हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने देवी देवताओं को लेकर विवादित बयान दिया हो। साल 2014 में स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था शादियों में गौरी-गणेश की पूजा नहीं करनी चाहिए। यह मनुवादी व्यवस्था में दलितों और पिछड़ों को गुमराह कर उनको गुलाम बनाने की साजिश है। वर्ष 2014 में स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा के राष्ट्रीय महासचिव थे। इस मामले में एक परिवाद दाखिल किया था। परिवाद में स्वामी प्रसाद मौर्य को 295-ए में तलब किया गया था। साथ ही गैर जमानती वारंट जारी किया गया था।

शिवपाल की नाराजगी दूर करने की कोशिश?
मुलायम सिंह के निधन से खाली सीट मैनपुरी पर 5 दिसंबर को वोटिंग है। डिंपल के नामांकन के बाद से लगातार शिवपाल की नाराजगी की खबरें आ रहीं थीं। गुरुवार को हुई इस मुलाकात को शिवपाल की नाराजगी दूर करने से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि, डिंपल के नामांकन में पूरा यादव परिवार शामिल हुआ था, जबकि चाचा शिवपाल नहीं पहुंचे थे। एक वजह यह भी रही है कि एक वक्त पर शिवपाल को इस सीट का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। फिर यह खबर आई कि शिवपाल ने बेटे आदित्य के लिए यह सीट मांगी थी। हालांकि, इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई।

नामांकन के दौरान अखिलेश यादव, डिंपल यादव के साथ रामगोपाल यादव भी साथ रहे।
नामांकन के दौरान अखिलेश यादव, डिंपल यादव के साथ रामगोपाल यादव भी साथ रहे।

मैनपुरी में भाजपा ने शिवपाल के करीबी को दिया टिकट

बीजेपी ने सपा के गढ़ मैनपुरी में सेंध लगाने के लिए रघुराज शाक्य को टिकट दिया है। रघुराज शिवपाल यादव के करीबी माने जाते हैं। वे सपा से दो बार सांसद रह चुके हैं। जब शिवपाल यादव ने प्रसपा का गठन किया था, तो रघुराज सपा से प्रसपा में आ गए थे। हालांकि, 2022 यूपी विधानसभा चुनाव से पहले वे प्रसपा से बीजेपी में शामिल हो गए। रघुराज शाक्य ने शिवपाल को अपना राजनीतिक गुरु बताया है। उन्होंने कहा है कि वे शिवपाल यादव से आशीर्वाद लेने जाएंगे।

44 साल की डिंपल 5वीं बार चुनाव लड़ेंगी। अब डिंपल के बारे में कुछ खास बातें...

यह तस्वीर तब की है जब डिंपल यादव नामांकन करने पहुंची थी।
यह तस्वीर तब की है जब डिंपल यादव नामांकन करने पहुंची थी।
  • 15 जनवरी 1978 को महाराष्ट्र के पुणे में पैदा हुईं डिंपल कन्नौज से दो बार सांसद रह चुकी हैं। उनका परिवार मूल रूप से उत्तराखंड का रहने वाला है। उनके पिता रिटायर कर्नल हैं। डिंपल 3 बहनों में दूसरे नंबर की हैं। डिंपल की शुरुआती पढ़ाई सैनिक स्कूल में हुई। उनके माता-पिता अभी उत्तराखंड के काशीपुर में रहते हैं। डिंपल और अखिलेश यादव ने प्रेम विवाह किया था।
  • 2009 लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने उत्तर प्रदेश की दो सीटों फिरोजाबाद और कन्नौज से चुनाव लड़ा। बाद में अखिलेश ने फिरोजबाद सीट छोड़ दी और उपचुनाव में डिंपल को वहां से उम्मीदवार बनाया। लेकिन, डिंपल कांग्रेसी नेता राज बब्बर से चुनाव हार गईं।
  • अखिलश के कन्नौज लोकसभा सीट छोड़ने के बाद 2012 में उपचुनाव हुआ। सपा ने इस बार भी डिंपल यादव पर भरोसा जताया। वहीं, इस चुनाव में बसपा, कांग्रेस, भाजपा ने उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। जबकि, दो लोगों के नामांकन वापस लेने के बाद डिंपल निर्विरोध चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। वहीं 2014 लोकसभा चुनाव में भी वह कन्नौज सीट बचा ले गईं।