बेटियां को लेकर समाज में अलग-अलग तरह की सोच रखने वाले व्यक्ति हैं। कोई बेटियों को अभिशाप समझता है तो कोई उनकी पूजा करता है। बेटियों के पैदा होने पर कई बार ऐसी तस्वीर सामने आती है जो आपको झकझोर कर रख देती है।
लेकिन मथुरा के वृंदावन से बेटी के पैदा होने पर जो तस्वीर सामने आई है। उसने उन लोगों को आइना दिखा दिया जो बेटी के पैदा होने पर उसे अपने से दूर कर बेगानी दुनिया में छोड़ देते हैं।
बेटी के स्वागत में बजे ढोल
वृंदावन के लोई बाजार इलाके में रहने वाले राम अग्रवाल के दो बेटे हैं। राम अग्रवाल के छोटे बेटे कुशल अग्रवाल की पत्नी विनी अग्रवाल ने 4 दिन पहले बेटी को जन्म दिया। परिवार को लगा कि जैसे सारे जमाने की खुशियां मिल गई हों। कुशल अग्रवाल के पिता बनने की खुशी को परिवार ने अलग अंदाज में सेलिब्रेट किया।
जिसने भी उस सेलिब्रेशन को देखा वह तारीफ किए बिना नहीं रह सका। बेटी के अस्पताल से घर आने पर पूरे रास्ते ढोल बजाए गए। स्वागत में घर के दरवाजे पर रेड कार्पेट बिछवा दिया।
घर में बेटी की कमी से परेशान था परिवार
राम अग्रवाल 3 भाई थे। जिनमें से दो भाई मदन गोपाल गुप्ता और कृष्ण गोपाल गुप्ता की पहले ही मौत हो चुकी है। उनके एक- एक बेटे थे। राम अग्रवाल की 4 बहन हैं। सबसे छोटी बहन का जन्म 72 साल पहले हुआ। इसके बाद 2-2 साल के अंतराल पर दो बहन और भी हुई लेकिन जन्म के कुछ दिन बाद ही उनकी मौत हो गई।
इसके बाद तीनों भाइयों को बेटी नहीं हुई। भाइयों को उम्मीद थी कि बेटों के बेटी हो जाएगी लेकिन बेटी नहीं हुई। राम अग्रवाल के छोटे बेटे के घर 68 साल बाद बेटी पैदा हुई तो खुशियों का ठिकाना ही नहीं रहा।
जमकर किया डांस, रात भर की आतिशबाजी
कुशल अग्रवाल और विनी अग्रवाल के बेटी होने की खुशी में जश्न का माहौल है। शनिवार शाम को जब मां बेटी अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर आई तो परिवार वालों ने ढोल की आवाज पर जमकर डांस किया , पटाखा चलाए और आस-पड़ोस में मिठाइयां बांटी।
पहली बार जब बेटी घर पहुंची तो राम अग्रवाल के घर पर हर तरफ खुशी का माहौल था। बेटी को जिस गाड़ी में लाया गया उसको दुल्हन की तरह सजाया गया,रास्ते में पुष्प वर्षा की गई और घर के बाहर रंगोली सजाई गई। बेटी के घर पर पहली बार आगमन पर आकर्षक सजावट की गई।
वृंदावन है राधा रानी की भूमि
बेटी के जन्म की खुशी को अलग ही अंदाज में मनाने पर कुशल अग्रवाल के बड़े भाई और मथुरा वृंदावन नगर निगम के पार्षद वैभव अग्रवाल ने बताया कि उनके घर में हमेशा बेटी की कमी खलती थी लेकिन जब कन्या ने जन्म लिया तो करीब 7 दशक के बाद सबसे बड़ी खुशी मिली। वृंदावन तो वैसे भी राधा रानी की भूमि है यहां मां कात्यायनी भी विराजमान हैं। इस भूमि पर घर में कन्या के आने से जो सबसे बड़ी कमी थी वह पूरी हो गयी।
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