मऊ में सामाजिक कार्यकर्ता पूजा राय की मेहनत आखिरकार रंग लाई है। दरअसल, वह झुग्गी झोपड़ी पर रहने वाले जिन गरीब बच्चों को पढ़ा रही थी। उनका स्कूल में एडमिशन हो गया है। बता दें कि झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले ये बच्चे सड़क के किनारे फुटपाथ पर विगत 2 सालों से कोरोना वायरस महामारी से सभी जूझ रहे थे। उनकी शिक्षा को लेकर एक सामाजिक कार्यकर्ता को चिंता हुई और उन्होंने इस बच्चों की पढ़ाई का बीड़ा उठाया और फुटपाथ पर ही बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया था।
पूजा राय की मेहनत रंग लाई
पूजा राय का कहना है कि कोरोना काल में नगर क्षेत्र स्थित डीसीएसके महाविद्यालय के निकट रोड के किनारे झोपड़ियों में रह रहे बच्चे को देखा और उन्हें स्वयं ही पढ़ाने की जिम्मेदारी उठाई और लॉकडाउन के में ढील मिलने के बाद उनके पास जाकर उन्हें पढ़ाने शुरू कर दिया। फिर जब पूरी तरह से स्कूलों का संचालन शुरू हो गया तो बच्चों को स्कूल भेजने का सपना देखा। जिस के क्रम में अपनी सामाजिक संस्था 'गूज एक गुहार' के द्वारा बच्चों की मदद किया। उनके पास जा जाकर शिक्षा प्रदान करने के साथ शिक्षा के मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया।
सामाजिक कार्यकर्ता बोलीं, हर बच्चे का शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार
उन्होंने बताया कि लगभग एक दर्जन बच्चों को स्कूल बैग बोतल का पानी कापी, पेंसल पेन रबर आदि चीजें मुहैया कराई, जिसके फलस्वरुप जब बच्चे स्कूल जाने को उत्सुक दिखे। तब उन्होंने मऊ रेलवे स्टेशन के निकट संचालित बाल शिक्षा मंदिर जूनियर हाई स्कूल मऊ में नामांकन कराया। समाजसेवी पूजा राय ने बताया हर बच्चे का शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। किसी को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। हमें लगा कि ऐसे बच्चे जो समाज के मुख्य धारा से किसी कारणवश विमुख है। उनको भी समाज के मुख्य धारा से जोड़कर उन्हें हरसंभव मदद करना चाहिए, जिसके क्रम में हम और हमारी संस्था ने काम किया है और आगे भी करते रहेंगे।
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