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मेरठ के जवान को अंतिम विदाई, पिता ने दी मुखाग्नि:फफकते हुए पिता ने कहा- बेटे ने शहादत देकर पूरे देश का नाम रोशन किया, शहीद की पत्नी बोलीं- मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई

मेरठ2 वर्ष पहले
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जम्मू कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए मेजर मयंक विश्नोई का पार्थिव शरीर रविवार को उनके पैतृक आवास पर लाया गया है। आगे-आगे सेना के जवान और कंधों पर शहीद मेजर का पार्थिव शरीर, पीछे भारी सैलाब। लोगों की आंखें नम और चेहरे पर आतंकवाद के खिलाफ गुस्सा...साफ दिखाई दे रहा था। एक तरफ 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' तो दूसरी ओर 'जब तक सूरज चांद रहेगा मयंक बिश्नोई तेरा नाम रहेगा'....के नारों की गूंज सुनाई दी।

शहीद की अंतिम झलक पाने के लिए सुबह से ही कंकरखेड़ा और आसपास के इलाके में लोग इंतजार कर रहे थे। पार्थिव शरीर घर के बाहर पहुंचा तो लोगों की आंखें नम हो गईं। उधर, परिवार के लोगों में कोहराम मच गया। सेना के अधिकारी परिवार के लोगों को संभालते रहे। यहां से शहीद मेजर मयंक विश्नोई की अंतिम विदाई यात्रा शुरू होकर 14 किलोमीटर दूर सूरजकुंड स्थित मुख्य श्मशान घाट पहुंचीं। यहां शहीद के पार्थिव शरीर को उनके पिता ने मुखाग्नि दी।

फफकते हुए पिता ने दी इकलौते बेटे को मुखाग्नि, शहीद की पत्नी बोलींं- मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई
अपने इकलौते बेटे को मुखाग्नि देते हुए पिता वीरेंद्र विश्नोई फफक पड़े। शहीद की पत्नी स्वाति और बहन तनु का रो-रो कर बुरा हाल था। सेना के अधिकारी परिवार के सदस्यों को सांत्वना देकर संभालते रहे। इकलौते बेटे के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देते हुए पिता वीरेंद्र विश्नोई ने कहा कि सोचा भी नहीं था कि यह दिन भी देखने को मिलेगा।

पिता ने कहा कि बचपन से ही बेटा कहता था कि पापा मैं भी सेना में अफसर बनूंगा, आज बेटे ने देश की खातिर अपनी शहादत देकर पूरे देश का नाम रोशन किया है। उधर, शहीद की पत्नी स्वाति बिलखते हुए बोली कि मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई।

शहीद मयंक के अंतिम दर्शन के लिए लोग छतों पर खड़े हैं।
शहीद मयंक के अंतिम दर्शन के लिए लोग छतों पर खड़े हैं।

जनप्रतिनिधि भी सांत्वना देने पहुंचे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मयंक की वीरता को नमन किया है। उन्होंने परिवार को 50 लाख रुपए, एक सदस्य को नौकरी और जिले की एक सड़क को शहीद के नाम करने का ऐलान किया है। यह भी कहा, शहीद मयंक के परिवार की हर संभव मदद की जाएगी।

शहीद की बड़ी बहन तनु ने बताया कि 27 अगस्त को कॉल करके मयंक ने बताया कि वह एक ऑपरेशन पर निकलने वाला है। हमें यह नहीं पता था कि वह अब तिरंगे में लिपटकर आएगा। बहन ने कहा, मयंक बचपन से ही देश की सेवा करने के लिए सेना में जाने की बात कहता था। सेना की वर्दी पहनकर फोन करके यही कहता था कि उसे देश के लिए कुछ करना है। रोते हुए तनु ने कहा, अब हम किसकी कलाई पर राखी बांधेगे?

रिश्तेदार और आसपास के लोग पहुंच गए हैं।
रिश्तेदार और आसपास के लोग पहुंच गए हैं।

ऑपरेशन के दौरान सिर में लगी थी गोली
मेरठ के कंकरखेड़ा क्षेत्र के शिवलोकपुरी निवासी रिटायर्ड सूबेदार वीरेंद्र विश्ननोई के बेटे मेजर मयंक विश्ननोई ( 30) आईएमए देहरादून से पासआउट हुए थे। वह जम्मू कश्मीर के शोपियां में राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। 2017 में पहली पोस्टिंग मध्यप्रदेश के महू में हुई थी। 2019 में मेजर बने थे। वह कमांडो की ट्रेनिंग भी ले चुके थे।

27 अगस्त 2021 को जम्मू कश्मीर के शोपियां में आतंकियों से लोहा लेते हुए मेजर मयंक विश्नोई को सिर में गोली लगी। जिसके बाद सेना के अधिकारियों ने गंभीर हालत में मेजर को उधमपुर के सैनिक अस्पताल में भर्ती कराया। जहां मेजर मयंक की उपचार के दौरान मौत हो गई। पत्नी व अन्य परिजन उधमपुर चले गए थे। मेरठ स्थित घर पर दोनों बहन तनु, अनु और रिश्तेदार हैं।

बहन बोलीं हमारा तो सब कुछ उजड़ गया

इकलौते भाई मयंक की शाहदत पर दोनों बहन तनु और अनु का रो-रोकर बुरा हाल था। बड़ी बहन तनु ने बिलखते हुए कहा कि हमें नहीं पता की मयंक तू 30 साल की उम्र ही तिरंगे में लिपटकर आएगा। अब हमारी कलाई पर राखी कौन बांधेगा। रिश्तेदार मयंक की बहन को सांत्वना देते रहे।

दोनों ही बहनों ने रोते हुए कहा कि मयंक को हमें प्यार में मनु कहते थे। लेकिन अब हमारा सब कुछ उजड़ गया है। एक माह पहले रक्षाबंधन पर मयंक घर नहीं आए तो अपनी बहनों से वीडियो कॉल पर बात की थी। वीडियो कॉल पर ही मयंक ने अपनी दोनों बहनों को कलाई दिखाई थी की दीदी मैंने राखी बांध ली। 22 अगस्त को बहन तनु से आखिरी बार बात हुई थी।

अप्रैल 2018 में मयंक की हुई थी शादी

मेजर मयंक विश्नोई की मामी ने बताया की 18 अप्रैल 2018 को मयंक विश्नोई की शादी हिमाचल प्रदेश के सुजानपुर निवासी स्वाति से हुई थी। मयंक के कोई बच्चा नहीं है। मयंक अपने पिता के इकलौते बेटे थे। मयंक के पिता जहां रिटायर्ड सूबेदार हैं, वहीं मयंक की पत्नी स्वाति के पिता भी एयरफोर्स से रिटायर्ड हैं।

मई में आखिरी बार आए थे मेरठ अपने घर

शिवलोकपुरी निवासी मेजर मयंक विश्नोई मई 2021 में आखिरी बार मेरठ अपने घर आए थे। उस समय मयंक के पिता वीरेंद्र और मां कोरोना संक्रमित हो गए थे। दिसंबर 2020 में मयंक की मामा की बेटी की मेरठ में शादी थी।

पांच दिन तक मयंक अपनी बहनों के साथ अपने मामा के घर जयदेवी नगर में एक साथ रहे। 27 अगस्त को मयंक की अपने पिता से कॉल पर बात हुई। मयंक ने पिता से कहा था की पापा मैं कॉल करूंगा, अब हम ऑपरेशन पर निकल रहे हैं।

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