मेरठ में जिला पंचायत अध्यक्ष और सदस्यों के शपथ ग्रहण समारोह में पंचायत सदस्यों ने खुला शक्ति प्रदर्शन किया। जिस भीड़ से बचने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानों को ऑनलाइन शपथ दिलाई थी। कुल 33 लोगों के शपथ ग्रहण समारोह में उससे दोगुनी भीड़ जुटी। सत्ता के शपथ ग्रहण समारोह में जिला प्रशासन, सांसद, विधायक के सामने कोरोना को खुला निमंत्रण दिया गया। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के नेताजी सुभाषचंद्र बोस प्रेक्षागृह में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित हुआ। शहर के सबसे बड़े प्रेक्षागृह में गिना जाने वाला सीसीएसयू ऑडिटोरियम भीड़ से भरा था। सामाजिक दूरी और कोरोना से बचाव के नियम पूरी तरह टूटते नजर आए। डीएम के बालाजी ने जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी को शपथ दिलाई। जिला पंचायत अध्यक्ष ने सदस्यो ंको शपथ दिलाई। शपथ के बाद पंचायत की पहली बैठक हुई।
1200 सीटर हॉल में 1 अध्यक्ष, 32 सदस्यों की शपथ
सीसीएसयू का नेताजी सुभाषचंद्र बोस प्रेक्षागृह शहर का सबसे बड़ा प्रेक्षागृह माना जाता है। मतदान कर्मियों की ट्रेनिंग इस हॉल में होती है। प्रशासन ने 32 सदस्यों और 1 अध्यक्ष के शपथ ग्रहण के लिए 1200 सीटर हॉल को आयोजन स्थल चुना। इतने बड़े हॉल में सामाजिक दूरी बनने के बजाय दूरी के नियम टूटते रहे। हॉल बड़ा होने के कारण नेता,जनप्रतिनिधियों को अपने साथ समर्थकों, कार्यकर्ताओं की ज्यादा भीड़ लेकर जाने का मौका मिला। एक-एक सदस्य के साथ छह-सात गाडि़यों में कार्यकर्ता पहुंचे और भीड़ बढ़ गई।
जनप्रतिनिधियों से ज्यादा सदस्यों ने दिखाई ताकत
सांसद, विधायक, पूर्व मंत्री के साथ चहेतों की भीड़ थी। जिला, महानगर इकाई, क्षेत्रीय इकाई के पदाधिकारियों के साथ भी भीड़ थी। नेताओं से ज्यादा भीड़ नए चुने गए पंचायत सदस्यों के साथ थी। पंचायत सदस्यों ने जमकर शक्ति प्रदर्शन किया। हर पंचायत सदस्य के पीछे समर्थकों का रेला था, जो हॉल में अंदर पहुंचा।
भीड़ के कारण वर्चुअल हुई थी प्रधानों की शपथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भीड़ बचाने के लिए इस बार प्रधानों की वर्चुअल शपथ कराई। प्रधानों और पंचायत समितियों की मुख्यालय पर शपथ होती है, मगर कोरोना स्प्रेड से बचने के लिए उनकी शपथ वर्चुअल हुई थी। मगर कोरोना से बचाव का सीएम के उस अनुशासन की आज धज्जियां उड़ती रहीं। जब कुल 33 लोगों की शपथ में भारी भीड़ प्रेक्षागृह में जुटी।
पंचायत चुनाव के बाद बढ़ा था संक्रमण
जिला पंचायत अध्यक्ष, सदस्यों के शपथ ग्रहण समारोह में प्रशासन और भाजपाई ये भी भूल गए कि प्रदेश में जिला पंचायत चुनाव के बाद ही कोरोना तेजी से फैला था। जिला पंचायत का चुनाव यूपी में सबसे बड़ा कोरोना स्प्रेडर साबित हुआ था। इसी चुनाव के बाद कोरोना गांवों में फैला और तेजी से लोग संक्रमित हुए। हजारों मौतें हुईं। इसके बावजूद प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने भीड़ को नहीं रोका।
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